पर्यावरणविदों को डर है कि पर्यटकों के आवागमन से शांत इलाकों में हलचल बढ़ जाएगी और इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है। सरकार के इस कदम ने वन्यजीव और संरक्षण कार्यकर्ताओं को भी चिंता में डाल दिया है।
पर्यावरण कार्यकर्ता गिरिधर कुलकर्णी ने कहा कि दो नए सफारी पॉइंट खुलने के बाद अधिकारियों को वीरानाहोसाहल्ली और नानाछी गेट पर सफारी पॉइंट को बंद कर देना चाहिए। National Tiger Conservation Authority (एनटीसीए) के दिशा-निर्देशों के अनुसार टाइगर रिजर्व वन क्षेत्र के 20 फीसदी से ज्यादा हिस्से में पर्यटन क्षेत्र नहीं हो सकता है।
अधिकारियों का कहना है कि यह सफारी अलग है। नए मार्ग बफर जोन तक ही सीमित रहेंगे और कोर जोन को नहीं छूएंगे।
नागरहोले टाइगर रिजर्व के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नई सुविधा को एनटीसीए ने अनुमोदित किया है। एनटीसीए ने बफर जोन में पर्यटन का प्रस्ताव किया है ताकि कोर एरिया पर दबाव कम किया जा सके। हम ऐसी सफारी नहीं देख रहे हैं, जो बाघ या हाथी केंद्रित हो। हम चाहते हैं कि जनता वन स्थलाकृति का अनुभव करे।
सरकार पुनर्विचार करे : हूबर
राज्य वन्यजीव बोर्ड के एक पूर्व सदस्य जोसेफ हूवर ने दो सफारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस क्षेत्र में मानव-पशु संघर्ष के मामले बढ़ रहे हैं और कहा कि बाघ अभयारण्य की परिधि पर भूमि पर खेती करने वाले स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया है। बाघ, तेंदुए और हाथियों के अक्सर खेतों में घुसने की घटना सामने आती है। इसे देखते हुए सरकार को बफर जोन में सफारी की योजना को छोड़ देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाघ संरक्षण योजना के तहत सरकार ने नुगु वन्यजीव अभयारण्य और बंडीपुर टाइगर रिजर्व में गुंड्रे रेंज में सफारी को मंजूरी दी थी, मगर जनता के विरोध के कारण उन्हें बंद कर दिया गया था।
रंगनतिट्टू को रामसर स्थल का दर्जा
बेंगलूरु. राज्य के रंगनतिट्टू पक्षी अभयारण्य को बुधवार को रामसर स्थल का दर्जा मिला। इससे यह राज्य में इस तरह का पहला संरक्षित आद्र्रभूमि बन गया।
पर्यावरण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मण्ड्या जिले में स्थित इस आद्र्रभूमि को पहले बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी ने पहले राज्य और देश में महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया था।
रंगनतिट्टू में पौधों की 188, पक्षियों की 225 से अधिक, मछलियों की 69, मेंढकों की 13 और तितलियों की 30 प्रजातियां हैं। यह उन दस नई आद्र्रभूमियों में से एक है जिन्हें रामसर मान्यता प्राप्त हुई है। देश में ऐसे स्थलों की संख्या अब 64 हो गई है। दस नए स्थलों में से छह तमिलनाडु में हैं।