वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी हमले के खिलाफ कड़े कदम उठाए और देश को बचा लिया। पाकिस्तान के साथ कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने भारत की एकता के लिए काम किया है।
नेहरू की पुण्यतिथि पर 27 मई को आयोजित एक कार्यक्रम में सिद्धरामय्या ने कहा था कि मोदी और नेहरु की तुलना नहीं की जा सकती और यह नहीं किया जाना चाहिए। कहां नेहरु, कहां मोदी। यह जमीन और आसमान की तुलना करने जैसा है।’
सिद्धू बताएं, वे आर्य हैं या द्रविड़
नेता प्रतिपक्ष सिद्धरामय्या ने आरएसएस पर निशाना साधा तो अब मुख्यमंत्री बोम्मई ने जवाबी हमला बोला है। बोम्मई ने कहा सिद्धरामय्या को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वे कहां से आए हैं?
बोम्मई ने कहा कि सिद्धरामय्या को बताना चाहिए कि वे आर्य हैं या द्रविड़? कांग्रेस नेता ने आरएसएस पर हमला बोला था। इसके जवाब में सीएम ने पलटवार किया है। बोम्मई ने कह कि सिद्धरामय्या को बताना चाहिए कि वे कहां से आए और द्रविड़ हैं या आर्य?
सिद्धरामय्या ने शुक्रवार को पूछा था, क्या आरएसएस के लोग भारत के मूल निवासी हैं? क्या आर्य इस देश के मूल निवासी हैं? यह द्रविड़ हैं जो मूल रूप से इस देश के हैं। मुगलों के 600 साल के शासन के लिए कौन जिम्मेदार है? यदि भारतीय एकजुट रहते तो क्या उनके लिए हम पर शासन करना संभव था?
सिद्धरामय्या ने ये भी कहा कि हिजाब पर विवाद करने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। सभी को कोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए, 99.9 फीसदी छात्र कोर्ट के आदेश का पालन कर रहे हैं।
सिद्धू ने फिर साधा निशाना
उधर, विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष सिद्धरामय्या ने आरएसएस के खिलाफ अपने हमले को जारी रखते हुए शनिवार को फिर तीखे बाण छोड़े।
उन्होंने शनिवार को तुमकूर में कुरुबा समाज के सम्मेलन में भाग लेने के बाद कहा कि उन्होंने आरएसएस के मूल का मुद्दा उठाया था। तो अब पूरे भाजपा नेता उनके पीछे पड़ गए हैं क्योंकि सच्चाई उन्हें हजम नहीं हो पा रही।
उन्होंने कहा कि आरएसएस नेता केवल भाजपा नामक राजनीतिक दल का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि क्या केवल भाजपा के मंत्री और नेता ही हिंदू हैं? आरएसएस ने किस आधार पर ऐसा सोच लिया?
उन्होंने पूछा कि आरएसएस की नजर में हिंदू होने के क्या नियम हैं? हिंदू धर्म की क्या व्याख्या है। क्या केवल हिन्दू माता-पिता की संतान होना ही काफी है या भाजपा का सदस्य बनना होगा?