बैंगलोर

स्पेडेक्स मिशन का प्रक्षेपण 30 दिसम्बर रात 9.38 बजे

डॉकिंग परीक्षण के अलावा पीओईएम के 24 पे-लोड करेंगे कई प्रयोग
भारत की ओर से पहली बार अंतरिक्ष में पौधे उगाने का प्रयास

बैंगलोरDec 24, 2024 / 08:14 pm

Rajeev Mishra

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 30 दिसम्बर की रात 9.38 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लांच पैड से अपने विश्वसनीय रॉकेट पीएसएलवी सी-60 से स्पेडेक्स मिशन लांच करेगा। इस मिशन में इसरो चंद्रयान-4 और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) समेत अंतरिक्ष अन्वेषण से जुड़े अगले दशक की कई महात्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए आवश्यक स्वचालित डॉकिंग तकनीक का परीक्षण करेगा।
इस मिशन के तहत दो उपग्रह एक एक साथ लांच किए जाएंगे जिनका भार 220-220 किग्रा होगा। इनमें से एक उपग्रह चेजर होगा और दूसरा टारगेट। इन उपग्रहों को मामूली सापेक्ष वेग के साथ पृथ्वी की 470 किमी वाली वृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया जाएगा। एक दिन के अंदर दोनों उपग्रहों के बीच आपसी दूरी 10 से 20 किमी तक हो जाएगी। इसके बाद उन्हें करीब लाने और दोनों को जोडक़र एक यूनिट बनाने की प्रक्रिया आरंभ होगी। दो अंतरिक्षयानों के जुडक़र एक यूनिट बन जाने की तकनीक को ही डॉकिंग तकनीक कहते हैं। इसमें दुनिया के कुछ ही देशों को महारत हासिल है।
दोनों उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के बाद पीएसएलवी के चौथे चरण (पीएस-4) को निचली कक्षा में लाया जाएगा। निचली कक्षा में आने के बाद यह उपग्रहों के लिए एक प्लग-इन प्लेटफार्म के तौर पर ऑपरेशनल होगा। इसे पीएसएलवी आर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (पीओईएम) कहा जाता है। इसरो इस बार पीओईएम के साथ कुल 24 पे-लोड भेज रहा है जो अंतरिक्ष में चक्कर लगाते हुए भविष्य के कई प्रयोगों को अंजाम देंगे। इन 14 पे-लोड इसरो के हैं जबकि, 10 पे-लोड गैर सरकारी संस्थाओं के हैं।
रोबोटिक आर्म करेगा कचरा साफ, लोबिया के पौधे पर भी प्रयोग
इसरो ने कहा है कि, इनमें कुछ ऐसे प्रयोग हैं जो पहली बार होंगे। अंतरिक्ष में आंत के जीवाणु (गट बैक्टीरिया), अंतरिक्षीय कचरा साफ करने के लिए एक रोबोटिक आर्म, पालक आदि भेजे जाएंगे जो मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान समेत भविष्य के कई मिशनों के लिए अहम हैं। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) ने कॉम्पैक्ट रिसर्च मॉड्यूल फॉर आर्बिटर प्लांट स्टडीज (क्राप्स) पे-लोड विकसित किया है जो जिसें लोबिया के 8 बीज भेजे जाएंगे। योजना के मुताबिक सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में नियंत्रित तापमान पर 5 से 7 दिनों के प्रयोग के दौरान बीज से कम से कम दो पत्तियां उगाई जाएंगी। मुंबई के एमिटी विश्वविद्यालय के पे-लोड एपीईएमएस से पालक के पौधे पर अध्ययन किया जाएगा। इसके जरिए सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में अंतरिक्ष में और धरती पर एक साथ प्रयोग किए जाएंगे। वीएसएससी का डेब्रिस कैप्चर मैनिपुलेटर अंतरिक्षीय कचरे को साफ करने का प्रयोग करेगा। इस पे-लोड में रोबोटिक आर्म होंगे जो अंतरिक्षीय कचरे को पकड़ेंगे।

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