इस परियोजना के लिए 1,200 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, लेकिन अरासिनाकेरी के पास की साइट पर केवल 615-635 एकड़ भूमि उपलब्ध है। केंद्र सरकार ने कोप्पल प्रशासन को आस-पास के गांवों में अतिरिक्त भूमि की पहचान करने का काम सौंपा है। साथ में यह भी कहा है कि भूमि आवासीय क्षेत्रों से कम-से-कम 3 किमी दूर हो। व्यवहार्यता निर्धारित करने के लिए राजस्व मानचित्रण सहित सर्वेक्षण चल रहे हैं।डिप्टी कमिश्नर नलिन अतुल के नेतृत्व में जिला प्रशासन एक विस्तृत सर्वेक्षण कर रहा है। इसके नतीजे केंद्र सरकार को प्लांट के भविष्य पर निर्णय लेने में मदद करेंगे।
पहचानी गई भूमि का अधिकांश हिस्सा संरक्षित वन क्षेत्रों से घिरा हुआ है, जहां भालू, तेंदुआ और हिरण रहते हैं। स्थानीय लोग विशेष रूप से चिंतित हैं क्योंकि राज्य सरकार ने इस क्षेत्र में भालू अभयारण्य बनाने का प्रस्ताव दिया है। पर्यावरणविदों का तर्क है कि परमाणु संयंत्र से वन्यजीवों को खतरा होगा और पारिस्थितिकी तंत्र बाधित होगा।निवासियों और कार्यकर्ताओं ने अपनी असहमति जताई है। पूर्व ग्राम पंचायत सदस्य करियाना संगति ने चेतावनी दी, हम इस खतरनाक परियोजना के खिलाफ लडऩे के लिए तैयार हैं, चाहे इसके लिए हमें कितना भी जोखिम क्यों न उठाना पड़े। परमाणु खतरों और स्थानीय आवासों पर पडऩे वाले प्रभाव के डर से ग्रामीण एकजुट होकर विरोध कर रहे हैं।