बैंगलोर

कर्नाटक राज्य बाल संरक्षण नीति प्रभावी ढंग से लागू नहीं हुई

शैक्षणिक संस्थानों को अपनी बाल सुरक्षा नीति लागू करनी होगी। संस्थानों में बाल सुरक्षा समितियां होनी चाहिए। केवल 30 प्रतिशत संस्थानों ने नीति को लागू किया है। कुछ स्कूलों में नाममात्र के लिए समितियां हैं, लेकिन नीति को लागू करने में विफल रहे हैं।

बैंगलोरDec 17, 2024 / 08:38 am

Nikhil Kumar

-केएससीपीसीआर ने जताई चिंता
-आयोग के पास बच्चों से संबंधित 1000 से अधिक मामले

कर्नाटक राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग Karnataka State Commission for Protection of Child Rights (केएससीपीसीआर) के सदस्य थिप्पेस्वामी के. टी. ने कहा कि कर्नाटक राज्य बाल संरक्षण नीति 2016 में अस्तित्व में आई थी, लेकिन इसे पूरे राज्य में प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है।
सोमवार को जिला पंचायत सभागार में नीति के कार्यान्वयन पर बच्चों के साथ काम करने वाले जिला और तालुक स्तर के अधिकारियों के लिए कार्यशाला के मौके पर उन्होंने कहा कि आयोग राज्य के सभी 31 जिलों में ऐसी कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है।इन सत्रों का उद्देश्य बाल कल्याण के क्षेत्र में काम करने वाले जिला और तालुक स्तर के अधिकारियों को बाल संरक्षण नीति और इसके प्रभावी कार्यान्वयन के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
कुछ स्कूलों में नाममात्र की समितियां

उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को अपनी बाल सुरक्षा नीति लागू करनी होगी। संस्थानों में बाल सुरक्षा समितियां होनी चाहिए। केवल 30 प्रतिशत संस्थानों ने नीति को लागू किया है। कुछ स्कूलों में नाममात्र के लिए समितियां हैं, लेकिन नीति को लागू करने में विफल रहे हैं।
सतर्कता समिति हो

उन्होंने जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनंद के. को निर्देश दिया कि वे सुनिश्चित करें कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में बच्चों की सुरक्षा और कल्याण पर नजर रखने के लिए सतर्कता समिति हो।
जन्म प्रमाण पत्र

कर्नाटक की 5,970 ग्राम पंचायतों में से एक भी ऐसी नहीं है जिसने 100 प्रतिशत जन्म प्रमाण पत्र जारी करना सुनिश्चित किया हो। सिर्फ आधार कार्ड ही उम्र का पर्याप्त सबूत नहीं है, क्योंकि उम्र के सत्यापन के लिए जन्म प्रमाण पत्र की जरूरत होती है। महिला और बाल समिति के गठन का निर्देश 2018-19 में जारी किया गया था, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है।
शिक्षा टास्क फोर्स पर जोर

उन्होंने प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक शिक्षा टास्क फोर्स स्थापित करने पर भी जोर दिया और कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पूरे राज्य में इस टास्क फोर्स का कार्यान्वयन केवल पांच प्रतिशत है।
भ्रूण हत्या

विजयपुर, यादगीर, कोलार, मंड्या, बेंगलूरु ग्रामीण में भ्रूण हत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि आयोग ने कुछ स्कैनिंग केंद्रों का दौरा किया। उल्लंघन के मामलों में आवश्यक कार्रवाई की सिफारिश की। आयोग के पास बच्चों से संबंधित 1000 से अधिक मामले हैं।

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