बैंगलोर

कर्नाटक : कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटे भारतीय विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिक

भाविसं ने 10 एलपीएम क्षमता का एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर विकसित किया है जिसका परीक्षण बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज में नैदानिक सत्यापन के लिए किया जा रहा है

बैंगलोरMay 14, 2021 / 02:18 pm

Nikhil Kumar

– जल्द शुरू होगी मानव परीक्षण प्रक्रिया
– 30 डिग्री सेल्सियस तक के कमरे के तापमान में कर सकेंगे स्टोर
– किफायती व अधिक प्रभावी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर भी काम जारी
– 40-50 फीसदी ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता वाले चीनी कंसंट्रेटर से बेहतर

बेंगलूरु. स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. के. सुधाकर ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (भाविसं) कर समर्थन मांगा है। इस सिलसिले में उन्होंने गुरुवार को भाविसं के निदेशक प्रो. गोविंदन रांगराजन (Prof. Govindan Rangarajan) से बातचीत की।

इस दौरान प्रो. रंगराजन में मंत्री को भाविसं (Indian Institute Of Science) में वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे विभिन्न शोधों से अवगत कराया। शोध में किफायती व प्रभावी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर (oxygen concentrator) सहित कोरोना वैक्सीन भी शामिल हैं। इस वैक्सीन को 30 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर सुरक्षित रखा जा सकता है। (IISc’s vaccine promises to have more neutralising effect than existing vaccines and can be stored in warm temperatures up to 30 Degrees Celsius).

उन्होंने बताया कि भाविसं ने 10 एलपीएम क्षमता का एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर विकसित किया है जिसका परीक्षण बेंगलूरु मेडिकल कॉलेज में नैदानिक सत्यापन के लिए किया जा रहा है। परिणाम आशाजनक रहे हैं। उत्पादन लगभग 90 फीसदी है और यह 40-50 फीसदी ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता वाले चीनी (Chinese oxygen concentrator) कंसंट्रेटर से बेहतर है।

प्रो. रंगराजन ने नैदानिक सत्यापन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मंत्री का समर्थन मांगा और इसके आपातकालीन उपयोग के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन से नियामक अनुमोदन प्राप्त करने में भी मदद की अपील की।

मंत्री ने सरकार से सभी आवश्यक सहायता का आश्वासन दिया और कहा कि वे इस मामले को तुरंत राजीव गांधी यूनिविर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेस के कुलपति और संबंधित केंद्रीय मंत्रियों के साथ उठाएंगे।

महामारी के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर
प्रो. रंगराजन ने मंत्री को कोरोना वैक्सीन विकसित करने के लिए लैब में चल रहे प्रयासों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि भाविसं द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन आशाजनक है क्योंकि परिणाम मौजूदा टीकों की तुलना में बेहतर प्रभाव दिखाते हैं। वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू होना है। उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन कोरोना महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई में मील का पत्थर साबित होगी क्योंकि इसे 30 डिग्री सेल्सियस तक के कमरे के तापमान पर संग्रहित किया जा सकता है। यह एक बड़ा लाभ है क्योंकि यह बहुत तेजी और आसान तरीके से वैक्सीन के वितरण को सक्षम बनाएगा।

मंत्री ने एक ऑडिट तंत्र विकसित करने और ऑक्सीजन के इष्टतम उपयोग के तरीके खोजने सहित रीफिलिंग व बॉटलिंग इकाइयों और अस्पतालों में ऑक्सीजन की बर्बादी को कम करने में भाविसं की मदद मांगी। प्रो. रंगराजन ने मंत्री को सभी तकनीकी और इंजीनियरिंग समर्थन का आश्वासन दिया।

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