वहीं ट्रैफिक जाम (traffic jam) के चलते बेंगलूरु में स्कूलों का समय बदलने की भी संभावना है। शिक्षा विभाग इस संबंध में 5 अक्टूबर को शहर भर में स्कूल के समय में संशोधन पर चर्चा के लिए एक बैठक आयोजित करेगा। कर्नाटक हाई कोर्ट ने पिछले महीने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह मुद्दा उठाया था। मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना वराले और न्यायमूर्ति कृष्ण दीक्षित की पीठ ने आदेश में कहा कि राज्य सरकार शहर भर में यातायात को कम करने के लिए स्कूल के समय में बदलाव पर चर्चा के लिए निजी और सार्वजनिक संस्थानों, स्कूल बस ऑपरेटरों और अभिभावक संघों के प्रतिनिधियों सहित हितधारकों की एक बैठक आयोजित कर सकती है।
भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन लैब के संयोजक प्रोफेसर आशीष वर्मा ने कहा कि पिछले हफ्ते ओआरआर पर ट्रैफिक जाम (Bengaluru traffic jam)- यात्रा की मांग, उपलब्ध बुनियादी ढांचे और सेवा आपूर्ति, व्यापक अंतर-समान सड़क ज्यामिति, अवैज्ञानिक यातायात प्रबंधन और कार और दोपहिया उपयोगकर्ताओं की प्रबलता को दर्शाता है।
वर्मा ने ‘ब्रांड बेंगलुरु’ अभियान के ‘मोबिलिटी वर्टिकल’ के तहत ‘एजाइल एंड सस्टेनेबल मोबिलिटी फॉर ऑल’ रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमें भीड़भाड़ वाले इलाकों में यात्रा करने वाले सड़क उपयोगकर्ताओं पर ‘कंजेशन प्राइसिंग’ की सिफारिश की गई थी। वर्मा ने कहा कि इस राशि को टिकाऊ तरीकों के लिए बुनियादी ढांचे और सेवाओं में सुधार के लिए वापस पंप किया जाना चाहिए। सार्वजनिक परिवहन और पैदल चलने और साइकिल चलाने के बुनियादी ढांचे में सुधार करते हुए शुल्क एक साथ लागू किया जाना चाहिए।
शहरी गतिशीलता विशेषज्ञ श्रेया गाडेपल्ली का कहना है कि यह सभी के लिए फायदे का सौदा है। जो लोग भुगतान करने के इच्छुक हैं, उन्हें अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए यातायात-मुक्त सड़क मिलती है। यातायात-मुक्त सड़कें तेज बस सेवाओं के लिए भी रास्ता बनाती हैं, जिससे अनिच्छुक या भुगतान करने में असमर्थ लोगों को एक विश्वसनीय विकल्प मिलता है। Idea of imposing congestion charge to solve Bengaluru traffic jam