रोडटेप (रिमिशन ऑफ ड्यूटीज एंड टैक्सेज ऑन एक्सपोर्टेड प्रोडक्ट्स) योजना में विशेष आर्थिक क्षेत्रों और निर्यात-उन्मुख इकाइयों को शामिल करने पर पिछले कुछ समय से चर्चा हो रही है, और यह बजट इसे पूरा करने का समय हो सकता है। इसके अलावा, विनिर्माण स्टार्ट-अप में उद्यम पूंजी और निजी इक्विटी निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। बौद्धिक संपदा बनाने वाले स्टार्ट-अप को और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
महामारी में बहुत से लोगों ने अपनी स्थापित नौकरियों को खो दिया। इससे निजी क्षेत्र में काम करने वालों की बचत और निवेश की आवश्यकता पर भी ध्यान गया। निवेश और बचत की आदत को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार को म्यूचुअल फंड की व्यवस्थित निवेश योजनाओं (सिस्टेमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान) के साथ-साथ राष्ट्रीय पेंशन योजना में अधिक निवेश को सक्षम करने के लिए धारा 80 सी और 80 सीसीडी डिडक्शन्स की सीमा बढ़ाने पर विचार करना चाहिए। इसके अलावा, इन दो डिडक्शन्स को नई कर व्यवस्था में भी शामिल करना एक अच्छा विचार हो सकता है। इसके अलावा, एलटीए छूट के बदले एलटीए कैश वाउचर योजना जारी रखी जानी चाहिए क्योंकि कर्मचारियों के लिए यात्रा अभी भी एक चुनौती है। उच्च आय वाले करदाताओं के लिए समग्र कराधान 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। यह एक उचित मांग है क्योंकि कॉर्पोरेट कराधान को पहले ही अनुकूलित किया जा चुका है लेकिन व्यक्तिगत कराधान अनुकूलन की प्रतीक्षा कर रहा है। इसके अलावा, एलएलपी और एओपी सहित सभी गैर-कॉर्पोरेट संस्थाओं के लिए कर की दर को 25प्रतिशत तक लाया जाना चाहिए। भारत को अपने ऋण और बांड बाजार को लोकप्रिय बनाने के उपायों पर भी काम करने की जरूरत है, जो सरकार और कॉरपोरेट क्षेत्र के लिए समान रूप से एक अप्रयुक्त अवसर है।
मेट्रो-शहरों में बिल्डरों द्वारा किए गए सुहावने वादों पर निर्माणाधीन फ्लैट खरीदने वाले होमबॉयर्स लगभग एक दशक से अधिक समय से पीडि़त हैं और अपने आशियाने का इंतजार कर रहे हैं। 2016 में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए मॉडल कानून के अनुसार विभिन्न राज्यों द्वारा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) की स्थापना के समय उनमे आशा की एक किरण जगी थी। हालांकि, राज्यों ने एक मन्दित संस्करण निष्पादित किया, और मौजूदा ढांचे, जनशक्ति, वित्तीय संसाधनों और कथित राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण, रेरा अपने वर्तमान स्वरूप में लगभग सभी राज्यों में बहुत सफल नहीं रहा है। केंद्र को इसे संज्ञान में लेना चाहिए और रेरा को मानक और प्रभावी बनाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए। जहां आवश्यक हो, केंद्र को आवश्यक वित्तीय संसाधन आवंटित करके राज्यों की मदद करनी चाहिए।
ईमानदार करदाताओं को टैक्स पेयर रिवॉर्ड कार्ड लॉन्च करके पुरस्कृत किया जाना चाहिए। यह कार्ड करदाताओं को जीएसटी एवं उत्पाद शुल्क पर राहत प्राप्त करने में सक्षम बनाए। इससे करदाताओं को प्रोत्साहन भी मिलेगा और बाजार में उपभोग भी बढ़ेगा। कुल मिलाकर भारत को जनता के अनुकूल, सुधारवादी और दूरदर्शी बजट की उम्मीद है।