रविवार को चौथे राष्ट्रीय स्वास्थ्य शिखर सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे गुंडूराव ने कहा कि ऐसे मंच महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करते हैं, जहां विचार कार्रवाई योग्य समाधानों में बदलते हैं। कर्नाटक और राष्ट्र के लिए एक स्वस्थ और अधिक समावेशी भविष्य का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र की अपनी समस्याएं हैं। निजी अस्पतालों की समस्याओं को सुलझाने में उनका पूरा सहयोग रहेगा। कई समस्याएं हैं, जिन्हें सरकार के सहयोग से सुलझाया जा सकता है। जहां तक अग्नि सुरक्षा, प्रदूषण नियंत्रण और बिल्डिंग कोड की समस्या का सवाल है, इसे व्यावहारिक तरीके से सुलझाने की जरूरत है। कानून अच्छे इरादे से बनाए जाते हैं, लेकिन कई बार जब हम इसे व्यवहार में लाते हैं और इसे लागू करने की कोशिश करते हैं, तो हमें पता चलता है कि इसे लागू करने में समस्याएं हैं। बिल्डिंग कोड 2018 में आया और कई अस्पताल उससे काफी पहले बन चुके हैं। यहां तक कि सरकारी अस्पतालों में भी अग्नि सुरक्षा के नियम नहीं हैं और सभी अस्पतालों पर एक ही नियम लागू होता है।
स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते वे इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। जहां तक चिकित्सकों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा का सवाल है, यह एक गंभीर मुद्दा है। सरकार ने कई सुधार किए हैं। नए कानून बनाए हैं। सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया गया है। गारमेंट सेक्टर के बाद स्वास्थ्य सेक्टर ही ऐसा है, जहां बड़ी संख्या में महिलाएं काम करती हैं। इसलिए महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सरकार गंभीर है।
डॉ. शरण पाटिल, डॉ. प्रसन्ना एच. एम., डॉ. पी. सी. रेड्डी और डॉ. डी. वी. वेंकटचलपति आदि इस सम्मेलन में शामिल हुए।