बैंगलोर

सेहत के दीवानों को खूब भा रहा सुपर फूड मखाना

दक्षिण में भी बढ़ रही मांग: स्नैक्स के तौर पर हो रहा लोकप्रिय बंदना कुमारी. बिहार के मिथिलांचल इलाके की सांस्कृतिक पहचान जलीय कृषि उत्पाद मखाने की मांग पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। पहले मखाने का अधिकांश उपयोग व्रतों में फलाहार या धार्मिक अनुष्ठानों में ही होता था मगर स्वास्थ्यवर्धक होने के […]

बैंगलोरDec 06, 2024 / 05:15 pm

Bandana Kumari

दक्षिण में भी बढ़ रही मांग: स्नैक्स के तौर पर हो रहा लोकप्रिय

बंदना कुमारी. बिहार के मिथिलांचल इलाके की सांस्कृतिक पहचान जलीय कृषि उत्पाद मखाने की मांग पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। पहले मखाने का अधिकांश उपयोग व्रतों में फलाहार या धार्मिक अनुष्ठानों में ही होता था मगर स्वास्थ्यवर्धक होने के कारण इस सुपर फूड की लोकप्रियता देश के साथ ही विदेशों में भी बढ़ी है। भौगोलिक पहचान (जीआई टैग) मिलने से भी इसके मांग में भारी उछाल आया है। खीर, रायता, कढ़ी, दूध मिश्रित शेक के तौर पर उपयोग होने वाले मखाने की लोकप्रियता अब स्नैक्स के तौर पर भी बढ़ रही है।
मांग बढ़ने के साथ ही बाजार में कई फ्लेवर में फ्राइड मखाना भी उपलब्ध है।बिहार के इस सुपर फूड की उपयोगिता दक्षिणी राज्यों में भी तेजी से बढ़ रही है। मांग के साथ कीमतों में भी उछाल आ रहा है। पिछले चार साल के दौरान मखाने के भाव में करीब तीन गुना तक वृद्धि हो चुकी है। बाजारों में निम्न से लेकर उच्च स्तर के गुणवत्ता वाले मखाने का भाव 900 से लेकर 1800 रुपए प्रति किलोग्राम तक है। गुणवत्ता के साथ मखाने के आकार पर भी भाव निर्भर करता है। वहीं, पैकेट बंद मखाने की कीमत 2000 से 2400 रुपए प्रति किलोग्राम तक है। महंगा होने के बावजूद लोग सेहत के लिए फायदेमंद होने के कारण मखाना खरीद रहे हैं।
विशेष गुणों के कारण इस सुपरफूड का इस्तेमाल नाश्ता से लेकर भोजन के आइटम बनाते तक किया जा रहा है। यहां तक कि मखाना शेक बना कर या फिर घी में भूनकर बच्चे से लेकर बड़े-बुजुर्ग इस्तेमाल कर रहे हैं। पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण शरीर को तंदुरूस्त रखने के साथ कई बीमारियों में मखाने के सेवन को कारगर माना जाता है ।
अलग-अलग अंदाज में उपयोग

मैसूरु रोड के मखाना व्यवसायी रामानंद सुरेखा ने बताया कि बिहार के मुख्य उत्पाद मखाना की मांग दक्षिण भारत में तेजी से बढ़ रही है। कुछ वर्ष पहले तक इसकी सीमित मांग होती थी। बिहार के प्रवासी ही ज्यादातर खरीदते थे मगर अब परिदृश्य बदल गया है। मखाने के गुणों के बारे में जानने के साथ ही लोग इसका अलग-अलग अंदाज मेें सेवन करने लगे हैं। घी या मक्खन में भून कर मखाने का उपयोग इंस्टेट स्नैक्स या फिर चाय के साथ किया जा रहा है तो खीर और शेक भी उपयोग होता है। उन्होंने बताया कि कई फूड आइटम्स में फ्लेवर देने के लिए मखाने का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मांग बढ़ने के साथ ही मखाने के दाम में भी हर साल वृद्धि हो रही है। उन्होंने बताया कि दक्षिण के बाजारों में अधिकांशत: बिहार से ही मखाना मंगवाया जाता है।
सेहत के लिए फायदेमंद

यशवंतपुर के दुकानदार राजीव कुमार ने बताया कि पहले तो केवल त्योहार व धार्मिक अनुष्ठानों के समय ही मखाने की मांग अधिक होती थी। पिछले दो सालों से उपयोग बढ़ने के साथ मांग बढ़ी है। घी में भूना मखाना खाना लोग अधिक पसंद करने लगे हैं। ग्राहक रमेश कुमार व मुकुल कुमार ने बताया कि परिवार के सदस्यों खासकर, बुजुर्गों की बेहतर सेहत बनाएं रखने के लिए मखाना के आइटम नाश्ते में देते हैं।
औषधीय गुणों से भरपूर, विदेशों में भी मांग

गौरतलब है कि अगस्त 2022 में मखाना को मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैग मिला था। उसके बाद से इसकी बिक्री में तेजी आने लगी थी। एक ऑनलाइन प्लेटफार्म पर मखाना का विपणन करने वाले देवेंद्र ने बताया कि जीआई टैग मिलने के बाद देश-विदेश में मखाना की मांग तेजी से बढ़ रही है। फ्लेवर्ड मखाना उद्योग में इसकी खपत बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि बिहार में मखाना का उत्पादन बढ़ा है मगर मांग उससे कई गुणा ज्यादा बढ़ गई है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में मखाने के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है।एक अन्य कारोबारी ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, रूस जैसे देशों में मखाना की मांग काफी बढ़ी है। यूरोपीय देशों में लोग इसे सुपर फूड के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। औषधीय गुणों से युक्त और एंटी ऑक्सीडेंट होने के कारण विदेशों में इसे मोटापा कम करने के लिए वैकल्पिक आहार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कई बड़े व्यापारी बिहार से बड़ी मात्रा में मखाना खरीद रहे हैं। वे इसे विभिन्न फ्लेवर वाले पैक बनाकर देश-विदेश में भेजते हैं। उन्होंने कहा कि मखाना की कीमत गुणवत्ता के आधार पर तय होती है।

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