-लुप्तप्राय शेर पूंछ वाले मकाक को लेकर बढ़ी चिंता वन विभाग Karnataka Forest Department ने राज्य की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक जोग फॉल्स Jog Falls में रोपवे परियोजना Ropeway Project को हरी झंडी दे दी है। वन विभाग ने इस परियोजना के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी देते हुए कहा कि राज्य सरकार को इसके लिए अब केंद्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी।
इस तरह की पहली परियोजना अगर सब कुछ ठीक रहा तो यह राज्य का पहला रोपवे प्रोजेक्ट होगा और जुलाई 2025 तक लोगों के लिए खुल जाएगा। हालांकि, वन विभाग के कुछ अधिकारियों और विशेषज्ञों ने इस परियोजना की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि इससे प्राचीन पश्चिमी घाट और गंभीर रूप से लुप्तप्राय शेर पूंछ वाले मकाक lion tailed macaque (एलटीएम) को नुकसान पहुंचेगा।
एक किलोमीटर लंबा पर्यटन विभाग और जोग प्रबंधन प्राधिकरण (जेएमए) झरने के मुहाने के पास मौजूदा निरीक्षण बंगले (आइबी) को ध्वस्त करके एक पांच सितारा होटल का निर्माण कर रहा है। एक किलोमीटर लंबा रोपवे भी बनाया जाएगा। इसके लिए वन विभाग 2.3923 हेक्टेयर जमीन देगा, जिसमें से 1.8997 हेक्टेयर जमीन सागर संभाग में है।
एलटीएम अभयारण्य 4.3 किलोमीटर दूर दरअसल, जिस क्षेत्र में रोपवे का निर्माण होगा, वह एलटीएम अभयारण्य से 4.3 किलोमीटर की दूरी पर है। रोपवे परियोजना के आलोचकों का कहना है कि वन मंत्री ईश्वर खंड्रे और मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने हाल ही मेें वन क्षेत्र बढ़ाने की बात कही थी। वहीं दूसरी तरफ वे पर्यटन परियोजनाओं के लिए वन भूमि अधिग्रहण करने पर काम कर रहे हैं। इससे दबाव और बढ़ेगा और भविष्य में विस्तार के लिए और अधिक भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा।
अब नहीं कटेंगे पेड़ शिवमोगा के डिप्टी कमिश्नर गुरुदत्त हेगड़े ने कहा कि वन भूमि का इस्तेमाल कई सालों से विभाग की जानकारी के बिना किया जा रहा था क्योंकि कोई उचित सर्वेक्षण नहीं किया गया था। अब परियोजना को क्रियान्वित करने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया, जिसमें यह पता चला कि वन भूमि का उपयोग किया गया था, इसलिए वन मंजूरी के लिए आवेदन दायर किए गए।
परियोजना को लागू करने के लिए आगे कोई वन भूमि अधिग्रहित नहीं की जाएगी और एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा। नए के लिए मौजूदा आइबी को ध्वस्त किया जा रहा है। जेएमए में मौजूदा दो और तीन सितारा होटलों को अपग्रेड किया जा रहा है।
ग्राउंड सर्वे का काम पूरा सागर के उप वन संरक्षक मोहन कुमार ने बताया कि आइबी का निर्माण करीब 50 साल पहले हुआ था। यह वन और राजस्व भूमि पर बना है। साथ ही, रोपवे के अंत में खंभे लगाने के लिए वन भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है। ग्राउंड सर्वे का काम पूरा हो चुका है।