बैंगलोर

विधि शिक्षा में फोरेंसिक विज्ञान विषय शामिल करने पर विचार करेगी सरकार

फोरेंसिक और टॉक्सिकोलॉजी जैसे विषय तेजी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। वे महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य तैयार करके निर्णायक सबूत प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं।

बैंगलोरNov 11, 2024 / 07:14 pm

Nikhil Kumar

विधि मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार विधि शिक्षा में फोरेंसिक विज्ञान forensic Science जैसे विषय शामिल करने पर विचार करेगी। वे बेलगावी में केएलई सोसाइटी में जेएन मेडिकल यूनिवर्सिटी के फोरेंसिक मेडिसिन और टॉक्सिकोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित कर्नाटक मेडिको-लीगल सोसाइटी (केएएमएलएस) के 32वें वार्षिक राज्य सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, आपराधिक न्याय प्रशासन में फोरेंसिक और टॉक्सिकोलॉजी जैसे विषय तेजी से महत्वपूर्ण होते जा रहे हैं। वे महत्वपूर्ण दस्तावेज और साक्ष्य तैयार करके निर्णायक सबूत प्रदान करने के लिए आवश्यक हैं। अप्राकृतिक मृत्यु, हत्या, जहर, नशीली दवाओं के उपयोग, आत्महत्या और ऐसे अन्य अपराधों के मामलों में उनके महत्व को कम नहीं किया जा सकता है।
मंत्री ने कहा, फोरेंसिक और टॉक्सिकोलॉजी Forensics and Toxicology के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देने की जरूरत है। आपराधिक मामलों की एक बड़ी संख्या को पेशेवर तरीके से नहीं निपटाया जा रहा है। ऐसा लगता है कि उन्हें व्यावसायिक सौदे के रूप में देखा जा रहा है। कुछ वकील गवाहों को भ्रमित करने में माहिर हो गए हैं। लेकिन फिर, यह प्रवृत्ति कम हो रही है क्योंकि आम जनता के बीच कानूनी जागरूकता का स्तर बढ़ा है।केएलई सोसाइटी के अध्यक्ष प्रभाकर कोरे ने कहा कि फोरेंसिक विज्ञान और विष विज्ञान जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित चिकित्सकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे पोस्टमार्टम जैसी प्रक्रियाओं को अंजाम देना आसान हो गया है। लेकिन 1980 के दशक में ऐसे पेशेवरों को ढूंढना बहुत मुश्किल था। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार कानून और व्यवस्था बनाए रखने और आपराधिक जांच करने वालों को उचित प्रशिक्षण प्रदान करे।

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