Krishna Basin के बांधों का निरीक्षण करने के बाद शनिवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने जल-फार्मूले का हवाला देते हुए इस साल Koena Dam से Keishna Dam को पानी छोडऩे से इनकार कर दिया। अब Maharashtra से बातचीत की जाएगी। शिवकुमार ने चिक्कोड़ी स्थित यडूर-कल्लोल, ब.सावदत्ती मंजारी बांध और शिरोली तालुक स्थित Rajapur Dam का निरीक्षण किया।
उन्होंने अधिकारियों से भी विस्तृत जानकारी मांगी। उनके साथ जिले के प्रभारी मंत्री सतीश जारकीहोली और जिले के अन्य विधायक भी थे। शिवकुमार ने उगर और Hippargi Dam का भी निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पिछले तीन वर्षों से हर साल पानी छोड़ रहा था लेकिन इस बार उसने पुराने फार्मूले पर पानी छोडऩे से मना कर दिया।
महाराष्ट्र के Chief Minister Devendra Phadanvis ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से एमओयू के लिए तारीख और समय मांगा था। लेकिन, कुमारस्वामी ने उन्हें सुझाव दिया कि एमओयू से पहले दोनों राज्यों के संबंधित मंत्री जमीनी हकीकत को जान लें और आपस में बातचीत कर लें। इसी के बाद वे बांधों का जायजा लेने पहुंचे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों से हालात बेहद गंभीर हैं। एक ऐसे स्थायी समाधान पर काम करने की जरूरत है कि दोनों ही राज्यों के किसानों को राहत मिले। एक उचित Formula तय होने और MoU के बाद दोनों राज्य इसका सम्मान करेंगे।
इस बीच राज्य सभा सांसद Prabhakar Kore ने कृष्णा बेसिन में 3-4 Damके निर्माण का सुझाव दिया है। कुछ परियोजनाओं पर काम चल रहा है जबकि कुछ परियोजनाएं सरकार शुरू करेगी ताकि लोगों के साथ मवेशियों को पेयजल उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि इसपर कोई राजनीति नहीं होगी। उनका उद्देश्य पेयजल समस्या का हल करना है। वे महाराष्ट्र के सिंचाई मंत्री के लगातार संपर्क में है।
महाराष्ट्र के Shiroli तालुक के विधायक उल्लास पाटिल ने भी राजापुर बांध का जायजा लिया और शिवकुमार के साथ चर्चा की। बाद में Ullas Patil ने कहा कि दोनों राज्यों के किसानों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दोनों राज्य सरकारों को तुरंत बातचीत कर समस्या का हल निकालना चाहिए।