बेंगलूरु. संभवनाथ जैन मंदिर दादावाड़ी में विराजित आचार्य अरविंदसागर सूरीश्वर ने भगवान नेमिनाथ के दीक्षाकल्याणक पर कहा कि जिनका जाप-ध्यान वैराग्यदशा का निर्माण करता है। जिनका नाम स्मरण भीतर के विकार का नाश करता है। आज कषायों को शांत करने वाले नेमिप्रभु का दीक्षा कल्याणक उत्सव मनाया गया। नेमिकुमार का जन्म वैराग्य दशा से प्रकट होता है और विज्ञान दशा तक पहुंचता है। उनके भीतर में रही वैराग्य दशा ज्ञान के सूर्योदय को अतिशीघ्र प्रकट करती है, साधना शुरू होती है और सफल भी होती है। उनके साथ एकमेक होना है। उनके पास विराग है जो हमारा विकार कम करेगा। राग-द्वेष रहित सुहावना दृश्य हमारे पीड़ादायक दु:ख कम करेगा। कषायों की भीतर ज्वाला भी समाप्त होगी। उनके सम्मुख चंद क्षणों के लिए बैठे हैं, तब तक हम उनके साथ रहने का प्रयत्न करते हुए अखंड भावधारा से जुड़ते हुए प्रभु की स्तुति और स्तवना करते हैं। उनकी स्वरूप दशा, रूपदशा को निहारते-निहारते एकमेक होते हुए रहना चाहिए। परमात्मा के पास हमें सब कुछ मिल सकता है, जो और कहीं नही मिल सकता। परिवार के पास जाएं तो प्रेम और नफरत, व्यापारी के पास जाएं तो लोभ और लाभ मिलता है। केवल प्रभु के पास हमें जो चाहिए वह सब कुछ मिलता है।