बैंगलोर

जातिगत जनगणना पर कर्नाटक में सियासत गरमाई

अगले महीने जारी हो सकती है रिपोर्ट

बैंगलोरOct 07, 2023 / 08:28 pm

Rajeev Mishra

जातिगत जनगणना पर कर्नाटक में सियासत गरमाई

बेंगलूरु.
राज्य की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक जनगणना (जातिगत जनगणना) को सार्वजनिक करने के बढ़ते दबाव के बीच मुख्यमंत्री सिद्धरामय्या ने शनिवार को कहा कि, अगले महीने रिपोर्ट मिलने के बाद इसपर निर्णय किया जाएगा।
बिहार सरकार की ओर से जातिगत जनगणना रिपोर्ट के आंकड़े जारी किए जाने के बाद राज्य की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार दबाव में है। इसी सप्ताह राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के.जयप्रकाश ने कहा था कि, वह नवम्बर में राज्य सरकार को जातिगत जनगणना रिपोर्ट सौंपेंगे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि, कांताराज की अध्यक्षता वाले आयोग ने रिपोर्ट दी तो तो तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने उसे स्वीकार नहीं किया। अब आयोग के अध्यक्ष बदल गए हैं। उन्होंने कांताराज आयोग की रिपोर्ट ज्यों की त्यों पेश करने के लिए कहा है। रिपोर्ट में नवम्बर में मिल जाएगी। उसके बाद निर्णय करेंगे। अति पिछड़ा वर्ग के अलग वर्गीकरण की मांग पर उन्होंने कहा कि, सरकार इसपर कुछ नहीं कर सकती। इसके लिए एक रिपोर्ट होनी चाहिए। पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट आने के बाद इसपर विचार किया जाएगा।
वर्ष 2015 में सिद्धरामय्या के ही नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने राज्य में 170 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण शुरू किया था। लेकिन, जनगणना के निष्कर्ष अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। तत्कालीन अध्यक्ष एच.कांताराज के नेतृत्व में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को जातिगत जनगणना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था।
रिपोर्ट पर हो रही सियासत
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि सरकारें इसे जारी करने से इसलिए कतराती रही हैं क्योंकि, राज्य में विभिन्न जातियों की संख्या पारंपरिक धारणा के विपरीत हैं। विशेषकर प्रमुख लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय के वर्चस्व के खिलाफ है। अब यह राजनीतिक मुद्दा बन गया है। जातिगत जनगणना रिपोर्ट को स्वीकार नहीं करने को लेकर राज्य के राजनीति दल एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं। अधिकारियों ने राज्य पिछड़ा आयोग के तत्कालिन सदस्य सचिव के अंतिम रिपोर्ट पर हस्ताक्षर नहीं करने को भी तकनीकी बाधा बताया जिसके कारण रिपोर्ट जारी नहीं हुई। उनका कहना है कि, जातिगत जनगणना रिपोर्ट वर्तमान में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के पास है। आयोग के रिपोर्ट सौंपने के बाद उसपर कैबिनेट निर्णय करेगी।

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