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पानी पर ‘ग्रीन सेस’ लगाने के प्रस्ताव की चर्चा के बीच सरकार में अंतर्विरोध उजागर

‘ग्रीन सेस’ के बारे में पूछे जाने पर शिवकुमार ने कहा, यह सब फर्जी खबरें हैं, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फैलाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, खंड्रे ने पहले कहा था कि उन्होंने पश्चिमी घाटों को बचाने को लोगों में जागरूकता लाने सेस का प्रस्ताव रखा है।

बैंगलोरNov 14, 2024 / 11:42 pm

Sanjay Kumar Kareer

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बेंगलूरु. पानी के बिल पर ‘ग्रीन सेस’ लगाने के कथित प्रस्ताव की चर्चा के बीच उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और वन मंत्री ईश्वर खंड्रे ने गुरुवार को विरोधाभासी बयान दिए। खंड्रे ने कहा कि उन्होंने खुद पश्चिमी घाटों के ‘संरक्षण’ के लिए सेस का प्रस्ताव रखा है, जबकि शिवकुमार ने इस बात से इनकार किया कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन है।
प्रस्तावित ‘ग्रीन सेस’ के बारे में पूछे जाने पर शिवकुमार ने कहा, यह सब फर्जी खबरें हैं, जिन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) फैलाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, खंड्रे ने पहले कहा था कि उन्होंने पश्चिमी घाटों को बचाने को लोगों में जागरूकता लाने सेस का प्रस्ताव रखा है।
उन्होंने कहा, यह पश्चिमी घाटों के संरक्षण और लोगों में जागरूकता लाने के लिए है। ग्रीन सेस के लिए 3 रुपये प्रति माह कोई बड़ी बात नहीं है। वन, पर्यावरण और पारिस्थितिकी के बारे में बहुत अधिक जागरूकता नहीं है। मैंने लोगों में जागरूकता लाने के लिए यह प्रस्ताव रखा है।
घाटों को बचाने के लिए 3 रुपये का उपकर प्रस्ताव राज्य वन मंत्रालय द्वारा पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के लिए एक कोष बनाने की योजना थी।

पश्चिमी घाट भद्रा और काबिनी जैसी नदियों को पानी देने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो निवासियों के लिए पानी का एक प्रमुख स्रोत है। पर्वत श्रृंखला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके पारिस्थितिक महत्व के लिए मान्यता प्राप्त है और इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, हिमालय से भी पुराने ये पहाड़ पूरे भारतीय प्रायद्वीप पर पारिस्थितिक प्रक्रियाओं को आकार देते हैं।
भारतीय पश्चिमी तट के समानांतर चलने वाले ये पहाड़ भारत के मानसून पैटर्न को बहुत प्रभावित करते हैं, जो बारिश से लदी मानसूनी हवाओं को रोकने के लिए एक प्रमुख बाधा के रूप में कार्य करते हैं। पश्चिमी घाट को दुनिया के आठ सबसे गर्म जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट में से एक माना जाता है। हालाँकि, खनन, अवैध शिकार, अतिक्रमण आदि जैसे मुद्दों ने इस क्षेत्र को त्रस्त कर दिया है।

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