इससे पहले वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बी. एस. येडियूरप्पा ने मैसूरु में कहा था कि राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी दलों का गठबंधन बना रहेगा और परिषद की छह सीटों के चुनाव में भाजपा चार और जद-एस दो सीटों पर लड़ेगी। येडियूरप्पा के बयान के कुछ ही घंटे बाद शनिवार शाम भाजपा ने पांच उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। भाजपा ने क्षेत्रीय सहयोगी दल के लिए छोड़ी जाने वाली दो सीटों में से एक पर अपना उम्मीदवार नामित करके जद-एस को आश्चर्यचकित कर दिया।
जद-एस के सूत्रों ने कहा कि पहले की सभी चर्चाओं में यह निर्णय लिया गया था कि क्षेत्रीय पार्टी दक्षिण-पश्चिम शिक्षक और दक्षिण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव लड़ेगी मगर भाजपा ने दक्षिण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। भाजपा की सूची आने से कुछ घंटे पहले येडियूरप्पा ने कहा था कि सीट बंटवारे को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार जद-एस दक्षिण स्नातक क्षेत्र के पूर्व विधान पार्षद के.टी. श्रीकांत गौड़ा को दक्षिण शिक्षक क्षेत्र से उतारने की तैयारी कर रही थी। एक सूत्र ने कहा, सीट बंटवारे पर बातचीत इस साल की शुरुआत में बेंगलूरु शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र उपचुनाव के लिए उम्मीदवार को अंतिम रूप देने के दौरान हुई थी। पार्टी दक्षिण-पश्चिम शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से एस. एल. भोजे गौड़ा को फिर से उतार सकती है।
प्रज्वल प्रकरण का असर!
गठबंधन साझेदारों के बीच ताजा घटनाक्रम हासन के सांसद प्रज्वल रेवण्णा से जुड़े अश्लील वीडियो और यौन शोषण मामले के बीच आया है। येडियूरप्पा ने कहा था, राज्य में भाजपा और जद-एस का गठबंधन जारी रहेगा। गठबंधन में कोई टूट नहीं होगी। प्रज्वल प्रकरण पर येडियूरप्पा ने कहा, जद-एस के साथ हमारे गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। प्रज्वल मामले का गठबंधन से कोई संबंध नहीं है। मुझे विश्वास है कि गठबंधन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि अगर जांच पारदर्शी तरीके से करनी है तो सांसद प्रज्वल के कथित पेन ड्राइव मामला सीबीआई को सौंप दिया जाए। ज्यादातर लोगों की यही राय है। मामला सीबीआई को सौंपे जाने पर ही पारदर्शी जांच हो सकेगी। इससे पहले जद-एस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा था कि गठबंधन जारी रखने का फैसला भाजपा के केंद्रीय नेताओं पर छोड़ दिया है।
अब भी जद-एस को उम्मीद
जद-एस के कब्जे वाले निर्वाचन क्षेत्र में अपना उम्मीदवार खड़ा करने के भाजपा के फैसले पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पार्टी सूत्रों ने कहा कि भाजपा अपने उम्मीदवार को मैदान में उतारने के लिए अंदर से दबाव में हो सकती है। हालांकि, हम इस मुद्दे पर भाजपा से चर्चा करेंगे और हमें विश्वास है कि सीट अंततः हमारे लिए छोड़ दी जाएगी। संयोग से दक्षिण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार मरितिब्बे गौड़ा ने जद-एस के टिकट पर चार बार जीत हासिल की थी। एक साल से अधिक समय तक पार्टी की गतिविधियों से दूर रहे से मरितिब्बे गौड़ा इस साल मार्च में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। जिन छह निर्वाचन क्षेत्रों में चुनाव होगा उनमें उत्तर-पूर्व स्नातक, दक्षिण-पश्चिम स्नातक, बेंगलूरु स्नातक, दक्षिण-पूर्व शिक्षक, दक्षिण-पश्चिम शिक्षक और दक्षिण शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं।
गठबंधन की एक और परीक्षा
लोकसभा चुनाव के बाद गठबंधन के लिए यह दूसरी बड़ी चुनावी परीक्षा होगी। लोकसभा चुनाव में भाजपा और जद (एस) ने क्रमशः 25 और तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था। गठबंधन के बाद पहले चुनाव में गठबंणन को बेंगलूरु शिक्षक सीट के उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। फरवरी में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के पुट्टण्णा ने गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर उतरे जद-एस के ए.पी. रंगनाथ को हराकर जीत हासिल की थी। उपचुनाव भी पुट्टण्णा के जद-एस छोड़कर कांग्रेस में आने से पहले इस्तीफा देने के कारण हुआ था।
इसलिए महत्वपूर्ण है चुनाव
विधान परिषद चुनाव पर उत्सुकता से नजर रखी जा रही है क्योंकि अगर कांग्रेस चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करती है तो 75 सदस्यीय उच्च सदन की संरचना बदल सकती है, जहां भाजपा और जद-एस को बहुमत है। एक निर्दलीय और सभापति के अलावा सदन में भाजपा के 32 और जद-एस के 7, कांग्रेस के 29 सदस्य हैं। विधान सभा से चुनी जाने वाली तीन सीटें और तीन जून को होने वाले चुनाव वाली दो सीटों सहित पांच सीटें खाली हैं। 2018 के चुनाव में छह में से भाजपा और जद-एस ने क्रमशः तीन और दो सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस ने एक सीट जीती थी।