कृष्णगिरी. पाश्र्व पद्मावती शक्तिपीठ तीर्थधाम में शनिवार को महाभैरव देव की महापुराण कथा में सूर्यपुत्र शनिदेव एवं उनके गुरु भैरव देव के प्रसंग का भावुक एवं विस्तृत वर्णन को हुआ। इसके बाद भैरव का अभिषेक तथा हवन यज्ञ में आहुतियां भी दी गईं। पीठाधिपति डॉ. वसंतविजय ने कहा कि भैरव उपासना वह अस्त्र है जो व्यक्ति के किसी भी प्रकार के भय को चित्त कर देता है तथा व्यक्ति को बलवान बना देता है। उन्होंने कहा कि तीनों लोकों में कृष्णगिरी वाली जगत जननी मां पद्मावती नहीं है और भैरव देव जैसे नाथ नहीं है। डर वर्तमान में नहीं जीता, डर भविष्य को डराता है। यदि मनुष्य को अपने कल को सुधारना हो तो भैरव भक्ति साधना उत्कृष्ट उपाय है। पीठाधीपति ने कहा कि व्यक्ति को जाने-अनजाने जीवन में कभी किसी प्रकार की हुई गलतियों के लिए भैरव देव से क्षमा याचना के साथ श्रद्धावान बनकर प्रायश्चित रूपी भक्ति करनी चाहिए। कृष्णगिरी आने वाले किसी भी श्रद्धालु के साथ कभी अन्याय कतई नहीं होगा, बशर्ते वह स्वयं सुधरने के लिए, श्रेष्ठ एवं सर्वशक्तिमान तथा समृद्ध बनने का भाव लेकर इस तीर्थ धाम में पहुंचा हो। कार्यक्रम में संत विद्यासागर के साथ चिदंबरम विद्वान पंडितों द्वारा भैरव देव का विधिवत वैदिक मंत्रोच्चारण से अभिषेक, पूजन, श्रृंगार व आरती संपन्न हुई। इसके बाद विभिन्न प्रकार की औषधियों, मेवे, फल इत्यादि की आहुतियां भैरव देव के बीज मंत्र के साथ हवन यज्ञ में दी गई। बेंगलूरु के संगीतकार सुरेश चौहान की भक्ति प्रस्तुतियों के साथ संचालन विनोद आचार्य ने किया।