बेंगलूरु. फ्रूट बैट्स प्रजाति के चमगादड़ के जरिए लोगों में संक्रमण जल्दी फैलता है। यह एकमात्र स्तनधारी है जो उड़ सकता है। पेड़ पर लगे फलों को खाकर संक्रमिक करता है। जब पेड़ से गिरे इन संक्रमित फलों को इंसान खाता है तो वह रोग की चपेट में आ जाता है। शिवमोग्गा और चिकमगलूर में फ्रूट बैट्स प्रजाति के चमगादड़ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इससे निपह वायरस फैलने का खतरा है। इस चमगादड़ से सावधान रहने की जरूरत है। इसीलिए दोनों जिलों पर विशेषज्ञों द्वारा नजर रखी जा रही है। केरल में निपह वायरस का मामला सामने आने के बाद कर्नाटक में स्वास्थ्य विभाग के कान खड़े हो गए हैं। इस वायरस के खतरे को देखते हुए प्रदेश स्वास्थ्य विभाग भी चौकन्ना हो गया है। वायरस फैलने के खतरों को देखते हुए केरल-कर्नाटक सीमा पर विशेष सर्तकता बरती जाएगी। तैयारियों को लेकर राष्ट्रीय मच्छरजनित बीमारी नियंत्रण कार्यक्रम के उप निदेश डॉ. बीजी प्रकाश कुमार ने बताया कि केरल-कर्नाटक सीमा के आसपास के नौ जिले हाई अलर्ट पर रहेंगे। केरल सीमा से लगे होने के कारण वायरस का खतरा जरूर है। यह वायरस हवा के माध्यम से नहीं फैलता है। एहतियात बरतने और प्रभावित लोगों को प्रदेश में प्रवेश करने से रोकने पर ध्यान देने की जरूरत है। सभी जिलों को दिशा-निर्देश जारी कर वायरस, इससे प्रभावित व संदिग्ध मरीजों को लेकर चौकन्ना रहने के लिए कहा है। दक्षिण कन्नड़, उत्तर कन्नड़, उडुपी, शिवमोग्गा, चिकमगलूर, कोडुगू, मेंगलूरु, मैसूरु और चामराजनगर जिलों पर विशेष नजर रहेगी। वायरस प्रभावित क्षेत्रों से कर्नाटक आने वाले बुखार प्रभावित लोगों पर कम से कम 18 दिनों तक निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। केरल-कर्नाटक सीमा के सभी अस्पतालों के लिए बुखार के मरीजों की जानकारी सरकार को देना अनिवार्य किया गया है। डॉ. कुमार ने कहा कि प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में केरल की नर्सों की संख्या ज्यादा है। नर्सिंग व अन्य कॉलेजों में भी बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं हैं। उन्हें आगले आदेश तक प्रभावित क्षेत्रों में जाने से बचने की सलाह दी गई है। फिलहाल हवाई अड्डों पर जांच केंद्र बनाने का निर्णय नहीं लिया गया है। परिस्थितियों के हिसाब से निर्णय लेंगे। आशा व अन्य स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को वायरस के प्रति जागरूक किया जा रहा है। किसी भी तरह की मदद या जानकारी के लिए लोग 104 पर संपर्क कर सकते हैं।