बता दें कि पालिका की चिंता मेले के दौरान निकलने वाले कचरे को लेकर है। यहां 19 साल से अवरेकाई मेला लगता रहा है। महापौर ने कहा कि इस मेले के लिए बीबीएमपी कर्मचारियो को जो भी मेहनत-मशक्कत करनी पड़ेगी, करेंगे लेकिन मेला समय पर होगा।
स्थानीय पार्षद वीणा राव के अनुसार मेले के दौरान बड़ी मात्रा में कचरा होता है। आसपास घरों के सामने वाहन खड़े किए जाते हैं। दुकान लगाने वाले कई बार नालियों में कचरा फेंकते हैं, इससे सीवर लाइन, मैनहोल जाम होते हैं। बीते चार साल से आयोजकों को कचरे के उचित निस्तारण के निर्देश दिए जा रहे हैं, लेकिन इसका हल नहीं किया गया। इसलिए स्थानीय निवासियों की शिकायतों के मद्देनजर इस बार मेले को अनुमति नहीं पर विचार किया गया।
चिकपेटक्षेत्र की बीबीएमपी स्वास्थ्य अधिकारी देविका रानी ने कहा कि मेले के दौरान सफाई को लेकर आयोजकों को कई बार निर्देश दिए गए थे। मगर आयोजकों ने इसको लेकर बीबीएमपी के स्थानीय कार्यालय से भी संपर्क नहीं किया, इसलिए मेले के आयोजन पर सवाल खड़े हुए।
आयोजकों में शामिल केएस स्वाति के अनुसार यह कोई वाणिज्यिक मेला नहीं है, यहां अवरेकाई उत्पादक किसानों को मंच उपलब्ध किया जाता है। मागड़ी तथा आस-पास के 100 से अधिक किसानों से अवरेकाई खरीद कर इसके विभिन्न व्यंजन बेचे जाते हैं।
उल्लेखनीय है कि इस मेले में अवरेकाई से बने डोसा, जलेबी, अवरेकाई उप्पीट, अवरेकाई पुलाव, अवरेकाई पोंगल जैसे व्यंजन पेश किए जाते हैं।