बढ़ते हैं मरीज
ऐसे में Deepawali पर चिकित्सकों ने अस्थमा और सीओपीडी सहित श्वसन संबंधित अन्य बीमारियों के मरीजों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी। इस त्योहार के कुछ दिन पहले से लेकर करीब एक सप्ताह बाद तक ओपीडी पहुंचने वाले मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। सावधानी ही सर्वश्रेष्ठ बचाव है। अस्थमा पीड़ित बच्चों को लेकर भी जागरूक व सतर्क रहने की आवश्यकता है।
औसतन 25 फीसदी ज्यादा मामले
राजीव गांधी छाती रोग संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. सी. नागराज ने बताया कि दीपावली के एक दिन पहले से ही ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़नी शुरू हो जाती है। हर वर्ष औसतन 25 फीसदी ज्यादा मरीज पहुंचते हैं। लंग्स फाइब्रोसिस के मरीजों को भी सेहत का ध्यान रखने की जरूरत है।
रक्त विषाक्तता
कार्बन मोनोऑक्साइड का हीमोग्लोबिन से 100 प्रतिशत अधिक जुड़ाव होता है और रक्त विषाक्तता होती है। अस्थमा के मरीज पहले से ही फेफड़ों में सूजन से पीड़ित होता है, जिससे उसके लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। जब ऐसा कोई व्यक्ति पटाखों से निकलने वाली जहरीली गैसों की उच्च खुराक के संपर्क में आता है, तो लक्षण उत्पन्न होना काफी स्वाभाविक है।
जहरीली गैसों के सीधे संपर्क में आने से बचें
बाल व अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. सोमशेखर ने बताया कि पटाखों से होले वाले धुएं से खांसी, सांस लेने में दिक्कत गले में संक्रमण की समस्या हो सकती है। धुआं अस्थमा की स्थिति को बढ़ा देता है और कभी-कभी, मरीज को स्थिर करने के लिए नेबुलाइजेशन की जरूरत पड़ती है। हम आम तौर पर उन माता-पिता को सलाह देते हैं, जिनके बच्चों को एलर्जी होने का खतरा है, वे पटाखे फोड़ने से बचें या जहरीली गैसों के सीधे संपर्क में आने से बचने के लिए मास्क का उपयोग करें। पटाखे अगर बेहद जरूरी हों तो बच्चों को ऐसे पटाखे दें, जिससे धुआं कम निकले।
गुनगुना पानी
अस्थमा के मरीज गुनगुना पानी पीकर कई तरह के जलन पैदा करने वाले पदार्थों सहित विषाक्त पदार्थों के प्रभाव से बच सकते हैं। गुनगुना पानी ऐसे पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।
जलन पैदा करने की क्षमता, इन्हेलर साथ रखें
पटाखों से निकलने वाले सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, फोस्फोरस, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और छोटे कण सहित कई हानिकारक वायु प्रदूषक श्वसन प्रणाली के माध्यम से शरीर में पहुंचकर सांस लेने में कठिनाई और अस्थमा के दौरे का कारण बन सकते हैं। धुआं श्वसन तंत्र में जलन पैदा करने की क्षमता रखता है। जहां तक हो सके पटाखों से दूर रहें। मरीजों को अपना इन्हेलर साथ रखना चाहिए। मास्क पहनकर पटाखों से हानिकारक प्रभावों से काफी हद तक बचा जा सकता है। घरों में एयर प्यूरीफायर या पर्याप्त वेंटिलेशन हो तो बेहतर है। यदि बाहर जाना बहुत जरूरी हो मास्क पहनकर ही बाहर निकलें।