मनोचिकित्सकों (psychiatrist) के अनुसार प्रतिदिन इन मरीजों का परामर्श जारी है। छह वर्ष की एक बच्ची नए स्ट्रेन (new strain of corona virus) को मात देने में कामयाब हुई है। शेष में से कुछ मरीजों में वायरस संक्रमण के हल्के लक्षण अब भी हैं। सभी मरीज बेंगलूरु सहित प्रदेश के तीन सरकारी अस्पतालों में उपचाराधीन हैं।
एक सरकारी अस्पताल के मनोचिकित्सक ने बताया कि कोरोना महामारी के शुरुआती कुछ महीनों में भी ज्यादातर मरीजों को परामर्श की जरूरत पड़ी थी, जो अब भी जारी है। लक्षण नहीं होने के बावजूद नए स्ट्रेन के मरीजों के लिए दो सप्ताह तक अस्पताल में रहना अनिवार्य है। इसे लेकर ज्यादातर मरीज चिंतित हैं। कई मरीजों को उनके संपर्क में आए लोगों के भी क्वारंटाइन किए जाने की बात सता रही है। इसके लिए मरीज खुद को जिम्मेदार मान रहे हैं। लेकिन इसमें इनकी कोई गलती नहीं है।
चिकित्सक ने बताया कि 10 में से एक महिला मरीज की उम्र 73 वर्ष है। यूके (United Kingdom) से लौटे चिकित्सक बेटे के संपर्क में आने से वे भी संक्रमित हो गईं। वे पहले से ही उच्च रक्तचाप की मरीज हैं। कोविड के सामाजिक प्रभाव को लेकर बेहद चिंतित हैं। तनाव व अवसाद से जूझ रही हैं। काउंसिलिंग से उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर हुआ है। दिन में एक से दो बार उन्हें परामर्श की जरूरत पड़ती है।
एक अन्य चिकित्सक ने बताया कि 10 में से तीन बाल मरीज हैं। सभी अपने अभिभावकों के साथ ही अस्पताल में हैंं। खिलौनों व अन्य गतिविधियों में उन्हें उलझाए रखने की हरसंभव कोशिश जारी है।
भोजन इन मरीजों की दूसरी समस्या है। अनुरोध पर इन्हें बाहर के भोजन की अनुमति दी गई है। इनके ज्यादातर रिश्तेदार या घर के सदस्य भी क्वारंटाइन हैं। इसलिए घर के भोजन की कोई संभावना नहीं है।
दसों मरीज तीन अलग-अलग परिवारों से हैं। दो मरीज बेंगलूरु के एक ही परिवार से तो चार मरीज शिवमोग्गा के एक परिवार से हैं। आइसोलेशन वार्ड में होने के बावजूद मरीज स्मार्टफोन के जरिए अपनों के संपर्क में हैं। नए स्ट्रेन से संबंधित कोई भी दिशा-निर्देश जारी होने या अन्य किसी के इससे संक्रमित होने की खबर मिलने पर इन मरीजों की चिंता और बढ़ जाती है। इनमें से कई के परिजनों की कोविड या जैनेटिक सीक्वेंसिंग रिपोर्ट नहीं आई है। जिसे लेकर मरीज चिंतित हैं।