ज्ञान से प्रकाशित करते हैं आचार्य -आचार्य अरविन्दसागर
बेंगलूरु. संभवनाथ जैन मंदिर दादावाड़ी में आचार्य अरविंदसागर सूरीश्वर ने कहा कि जैसे निशांत रात्रि का समापन होता है और सूर्य का उदय होता है और यह सूर्य संपूर्ण भरत क्षेत्र को प्रकाशित कर देता है। इसी प्रकार आचार्य भी प्रकाशित करने वाले होते हैं। सूर्य की किरणें आती हैं वैसे ही आचार्य की ज्ञान की किरणें, आचार की किरणें आती हैं व दूसरों को प्रकाशित कर सकती है। शिष्य अगर आचार्य की बात को सुनकर, समझकर अपने भीतर उतार ले तो आचार्य के ज्ञान रूपी सूर्य से प्रकाशित हो जाता है। आचार्य श्रुत, शील और बुद्धि से शोभित होते हैं। देवलोक में देवताओं के बीच जैसे इंद्रदेव शोभायमान होते हैं वैसे ही आचार्य अपने शिष्यों के बीच शोभायमान होते हैं। शोभायमान होने का कारण है श्रुत, शील और बुद्धि है। जन्मदिन का अवसर दिन प्रतिदिन आगे बढ़ते हुए लक्षित मंजिल को पाने के लिए पुरुषार्थ की शिक्षा देता है। संभवनाथ जैन मंदिर से गुरु जन्मोत्सव के लिए बाजते गाजते सकल संघ के साथ आचार्य कार्यक्रम स्थल पहुंचेे। आदिनाथ चिकपेट संघ अध्यक्ष गौतम सोलंकी ने श्रद्धा भावना से आचार्य अरविन्दसागर को 57वें जन्मदिवस की शुभकामनाएं प्रेषित कीं। आचार्य के जन्मदिन के उपलक्ष्य में संघ द्वारा श्रेणीतप के तपस्वियों को पालीताणा की यात्रा की घोषणा की। आचार्य की संसार पक्षीय पोती सिद्धी चिंतन बरलोटा ने अपने शब्दों में गुरु जन्मदिन पर प्रस्तुति दी और स्वस्थ रहने की मंगलकामना की। भाविक मेहता और हार्दिक शाह ने गणिवर्य हीरपद्मसागर द्वारा रचित रचनाओं का संगान करते हुए गुरु के चरण कमल में हम रहें इस भावना से पहली कुसुमांजलि समर्पित की। लाभार्थी परिवारों ने गुरु चरणों में कुसुमांजलि अर्पित कीं। आज के दिन आचार्य के हस्तलेखन से शतवर्षीय पंचांग का लाभार्थी परिवार द्वारा उद्घाटन कर गुरु चरणों में अर्पण किया। छह वर्ष की नन्ही सी बालिका के सिद्धीतप की ख़ूब ख़ूब अनुमोदना, संघ की ओर से बहुमान किया गया। आऊवा गांव से आए कवि सुखवीर ने काव्यमय शैली से जनमदिन की बधाइयां दीं। मुमुक्षु प्रवीण कांकरिया-चेन्नई जिनकी आगामी समय में दीक्षा होने वाली है ने अपने भावों से गुरु के प्रति भावना व्यक्त की। मुमुक्षु सलोनी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। चतुर्विध धर्मसंघ के साथ साथ आऊवा गांव, आऊवा महिला मंडल ने गुरुदेव को बधाई दी।