करीब 70 फीसदी सिजेरियन डिलीवरी cesarean delivery निजी अस्पतालों में हो रही हैं। यह सही नहीं है। सिजेरियन सेक्शन मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर असर डालता है। सिजेरियन दर 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन निजी अस्पतालों में 70 फीसदी सिजेरियन किए जाते हैं। सरकारी अस्पतालों में यह दर 35 फीसदी है। निजी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी को कम-से-कम 50 फीसदी तक लाया जाना चाहिए।
इस संबंध में जिला कलेक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों को निजी अस्पतालों पर सख्ती से निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।ये बातें स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडूराव ने बुधवार को शिवमोग्गा में कही। वे जिला स्वास्थ्य विभाग की प्रगति की समीक्षा के बाद संबोधित कर रहे थे।
तालुक अस्पतालों में एसएनसीयू जल्द उन्होंने कहा कि शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए तालुक स्तर के अस्पतालों में विशेष नवजात देखभाल इकाइयां (एसएनसीयू) स्थापित की जाएंगी। मां और बच्चे के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। अधिकारियों को शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए विशेष ध्यान रखने का निर्देश दिया गया है।
मंत्री ने कहा कि केवल जिला स्तरीय मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में विशेष नवजात देखभाल इकाइयां हैं। तालुक स्तर के एमसीएच अस्पतालों से जिला स्तर के अस्पतालों तक बच्चों को ले जाने में बहुत कठिनाई होती है। इसलिए, तालुक स्तर पर मातृ एवं शिशु अस्पतालों में एसएनसीयू प्रणाली स्थापित करना आवश्यक है।मंत्री ने बताया कि भद्रावती में नए एमसीएच अस्पताल के निर्माण के लिए स्थल निरीक्षण किया गया है। सरकार तालुक स्तर के अस्पतालों को अपग्रेड करने पर अधिक जोर देगी।