अब, राज्य सरकार ने ऐसे संगठनों की चिंताओं का समाधान करने के लिए कर्नाटक सडक़ विकास निगम लिमिटेड (केआरडीसीएल) और वन विभाग को जन सुनवाई करने का निर्देश दिया है। केआरडीसीएल और वन विभाग की ओर से मंगलवार को इस मुद्दे पर जन सुनवाई होगी। संयोग से हाल के वर्षों में यह पहला मौका होगा जब सरकार ने किसी विकास परियोजना के लिए पेड़ों को काटने के पूर्व जन सुनवाई करने की पहल की है।
छह लेन की बनेगी 51 किमी सडक़
सडक़ चौड़ीकरण परियोजना के तहत बन्नेरघट्टा-अनेकल-वाइटफील्ड के बीच ५१ किमी सडक़ को छह लेन में परिवर्तित किया जाएगा। वाइटफील्ड से जिगनी के पास एपीसी सर्कल तक ३२ किमी की सडक़ और अनेकल से बन्नेरघट्टा तक १९ किमी की सडक़ को मौजूदा दो और चार लेन से छह लेन की सडक़ में उन्नत किया जाएगा।
छह लेन की बनेगी 51 किमी सडक़
सडक़ चौड़ीकरण परियोजना के तहत बन्नेरघट्टा-अनेकल-वाइटफील्ड के बीच ५१ किमी सडक़ को छह लेन में परिवर्तित किया जाएगा। वाइटफील्ड से जिगनी के पास एपीसी सर्कल तक ३२ किमी की सडक़ और अनेकल से बन्नेरघट्टा तक १९ किमी की सडक़ को मौजूदा दो और चार लेन से छह लेन की सडक़ में उन्नत किया जाएगा।
काटे जाएंगे 80 से 100 साल पुराने पेड़
परियोजना के लिए जिन ५०० से ज्यादा पेड़ों को काटा जाना है उनमें से कई ८० से १०० साल पुराने हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि ज्यादातर पेड़ कई दशक पुराने हैं। इनमें पीपल, बरगद, नीम, इमली आदि के अधिकांश पेड़ हैं।
परियोजना के लिए जिन ५०० से ज्यादा पेड़ों को काटा जाना है उनमें से कई ८० से १०० साल पुराने हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि ज्यादातर पेड़ कई दशक पुराने हैं। इनमें पीपल, बरगद, नीम, इमली आदि के अधिकांश पेड़ हैं।
ट्रांसप्लांट करने से नहीं कटेंगे पेड़
पेड़ संरक्षण से जुड़े संगठनों ने सरकार से आग्रह किया है कि पेड़ों को काटने के बजाय प्रस्तावित चौड़ीकरण खंड के दोनों ओर ट्रांसप्लांट किया जाए। अगर पेड़ों को जड़ से उखाडक़र एक जगह से दूसरी जगह पर लगाया जाता है तो इससे पेड़ों को काटना नहीं पड़ेगा। प्रस्तावित चौड़ीकरण खंड के दोनों किनारों पर ऐसे पेड़ों को ट्रांसप्लांट कर उन्हें कटने से बचाया जा सकता है और प्राकृतिक रूप से हरियाली को बचाया जा सकेगा। पूर्व में भी एयरपोर्ट, मेट्रो और सडक़ निर्माण की कई परियोजनाओं में पेड़ों को ट्रांसप्लांटेशन हो चुका है , जो सफल भी रहा है।
पेड़ संरक्षण से जुड़े संगठनों ने सरकार से आग्रह किया है कि पेड़ों को काटने के बजाय प्रस्तावित चौड़ीकरण खंड के दोनों ओर ट्रांसप्लांट किया जाए। अगर पेड़ों को जड़ से उखाडक़र एक जगह से दूसरी जगह पर लगाया जाता है तो इससे पेड़ों को काटना नहीं पड़ेगा। प्रस्तावित चौड़ीकरण खंड के दोनों किनारों पर ऐसे पेड़ों को ट्रांसप्लांट कर उन्हें कटने से बचाया जा सकता है और प्राकृतिक रूप से हरियाली को बचाया जा सकेगा। पूर्व में भी एयरपोर्ट, मेट्रो और सडक़ निर्माण की कई परियोजनाओं में पेड़ों को ट्रांसप्लांटेशन हो चुका है , जो सफल भी रहा है।