गौरतलब है कि बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में पखवाड़ेभर से एक बाघ विचरण कर रहा था। सबसे पहले वह 1 मार्च को वाड्रफनगर से लगे कैलाशपुर जंगल में देखा गया था। दूसरे दिन वहां से निकलकर वह बच्छराजकुंवर जंगल की ओर चला गया था। 6 मार्च को वह गोवर्धनपुर में इरिया नदी में पानी की तलाश में विचरण करता मिला।
इसके बाद वह ग्राम कृष्णपुर धमनी होते हुए 10 मार्च को रामचंद्रपुर ब्लॉक के परहियाडीह जंगल पहुंच गया था। इस दौरान उसने एक बैल का शिकार किया था। यहां से विचरण करता हुआ बाघ 11 मार्च की रात पिपरौल गांव में कार सवारों के सामने आया गया था।
13 मार्च की सुबह वह सेंदूर गांव पहुंच गया था। यह देख लोगों ने उसे दौड़ाना शुरु कर दिया था। ग्रामीणों की काफी भीड़ के हो-हल्ला करने से बाघ भागता नजर आया था। इसके बाद बलरामपुर कलक्टर, एसपी, डीएफओ सहित अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे थे और ग्रामीणों को नियंत्रित किया था। इस दौरान बाघ के नर या मादा होने की पुष्टि नहीं हो पाई थी।
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14 मार्च की शाम बाघ अंबिकापुर-रामानुजगंज नेशनल हाइवे के किनारे बलरामपुर से 5 किमी दूर औराझरिया में बैठा दिखा। इस दौरान वहां से गुजरने वाले वाहनों के पहिए थम गए। ऐसे में वहां दोपहिया-चारपहिया वाहनों की लाइन लग गई। मौके पर लोगों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस व वन अमला तैनात रहा।
करीब 2 घंटे के बाद बाघ जंगल में चला गया। बुधवार को बाघ बलरामपुर से लगे बरदर जंगल में देखा गया। बताया जा रहा है कि वहां से झारखंड 4-5 किमी दूर है। बाघ उसी ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है।
इधर डब्ल्यू डब्ल्यू एफ के अधिकारियों ने बाघ के नर होने की पुष्टि की है। मंगलवार की रात उसके मादा व गर्भवती होने की खबरें उड़ रही थीं।