दरअसल एक दिन पूर्व नगर के एक निजी शैक्षणिक संस्था में बच्चों के बीच मामूली बात को लेकर आपस में कहा सुनी हो गई थी। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को देख लेने की बात (School students violent) कही थी। मंगलवार को जब स्कूल प्रबंधन को इसकी जानकारी मिली तो स्कूल की प्राचार्या द्वारा दोनों पक्षों को बैठा कर समझाइश भी दी गई थी एवं आपस में लड़ाई नहीं करने के लिए कहा गया था।
लेकिन स्कूल की छुट्टी होने के बाद जैसे ही दोनों पक्ष के विद्यार्थी स्कूल परिसर से बाहर आए। इसी बीच एक पक्ष द्वारा हाथ में फाइटर लगाकर दूसरे पक्ष के विद्यार्थियों पर ताबड़तोड़ प्रहार (School students violent) कर दिया गया। इस दौरान अन्य बच्चे सहम गए, वहीं कुछ अभिभावक भी हैरान रह गए।
तत्काल इसकी सूचना स्कूल के शिक्षकों को लगी, तब शिक्षकों के साथ मौके पर उपस्थित अभिभावकों ने स्थिति को संभाला। लड़ाई करने के बाद एक पक्ष के छात्र तेज रफ्तार में बाइक से भाग निकले।
नाबालिगों के बाइक चलाने पर लगे प्रतिबंध
लड़ाई करने के बाद एक पक्ष के छात्र जिस स्पीड से मोटरसाइकिल से अपराधी के समान मौके से भागे, इससे उनके साथ कोई गंभीर घटना हो सकती थी। आजकल कक्षा नवमी में पढऩे वाले बच्चे भी बाइक से स्कूल जाने लगे हैं। ऐसे में नाबालिगोंं का बाइक चलाना काफी खतरनाक (School students violent) साबित हो सकता है। लोगों का कहना है कि नाबालिग बच्चों पर सख्ती के साथ बाइक चलाने पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। नाबालिग बच्चे आए दिन छोटी-मोटी दुर्घटनाएं बाइक चलाने के दौरान कर रहे हैं। वे स्वयं तो घायल हो ही रहे हैं, वहीं दूसरों को भी घायल कर रहे हैं।
School students violent: बच्चों में बढ़ती हिंसक प्रवृत्ति चिंता का विषय
कक्षा नवमीं से लेकर 12वीं तक के बच्चों में जिस प्रकार से हिंसक प्रवृत्ति देखी जा रही है, वह काफी चिंता का विषय है। मामूली विवाद हिंसक झड़प के स्वरूप में बदल जा रही है। बच्चे थोड़ी-थोड़ी बात में काफी आक्रामक हो जा रहे हैं एवं आपस में एक दूसरे के लिए घातक साबित हो रहे हैं। हिंसक प्रवृत्ति के बच्चों का स्कूल में अन्य बच्चों से व्यवहार काफी खराब रहता है। वहीं वे स्कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ भी व्यवहार खराब करते हैं। उनके मन में शिक्षक-शिक्षिकाओं के प्रति थोड़ा सा भी सम्मान नहीं रहता। थोड़ी-थोड़ी बात पर शिक्षक-शिक्षिकाओं को ही नीचा दिखाने में लगे रहते हैं। ऐसे बच्चों की काउंसिलिंग कराए जाने की आवश्यकता है।
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बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखें अभिभावक
मनोचिकित्सक डॉ. संदीप ने बताया कि बच्चों में इस प्रकार की प्रवृत्ति (School students violent) के लिए अभिभावक स्वयं जिम्मेदार हैं। कम उम्र में बच्चों को दोपहिया वाहन देना व उन पर नजर नहीं रखना बड़ा कारण है। बच्चे दिन भर टीवी और मोबाइल में व्यस्त रहते हैं जिससे उनका जीवन एकांकी हो जाता है और वह इस प्रकार से व्यवहार करने लगते हैं। बच्चे इस प्रकार के व्यवहार से दूर रहें, इसके लिए हर माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को पूरा समय दें एवं उन पर नजर रखें।