गौरतलब है कि रामानुजगंज कन्हर नदी में राम मंदिर घाट से शिव मंदिर घाट तक के पत्थरों का नामकरण दशकों पूर्व उनकी आकृति के अनुसार हुआ था। इसमें बुढ़वा बुढय़िा पत्थर, उटवा पत्थर, जहाज पत्थर सहित अन्य विभिन्न आकृतियों के पत्थर थे जो नदी के विशेष आकर्षण का केंद्र रहते थे।
नदी देखने आने वाले इन पत्थरों को जरूर देखते थे परंतु एनीकट बनने के बाद एनीकट के ऊपर जितने भी पत्थर थे सब का अस्तित्व खत्म हो गया। वहीं आज भी हथिया पत्थर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हथिया पत्थर के बगल में रामशिला पत्थर की भी अद्भुत कलाकृति है।
अद्भुत कलाकृति थी नदी की पहचान
कन्हर नदी में राम मंदिर घाट से शिव मंदिर घाट तक विभिन्न प्रकार के पत्थर जो प्राकृतिक रूप से अद्भुत कलाकृति की थी। लेकिन नदी में रेत भरने के कारण पत्थरों का अस्तित्व ही समाप्त हो गया।
बैठे हुए हाथी जैसा हथिया पत्थर
अंतर्राज्यीय पुल के नीचे हथिया पत्थर को अगर ध्यान से देखें तो स्पष्ट नजर आता है कि जैसे हाथी बैठा हआ हो। अंतरराज्यीय पुल के ऊपर से भी हथिया पत्थर स्पष्ट नजर आता है।