गिरोह का मास्टरमाइंड झारखंड का कुख्यात माओवादी है और पुलिस पार्टी ने उसे भी झारखंड से हिरासत में ले लिया है। पकड़े गए 5 आरोपी भी दो साल पहले झारखंड के माओवादी संगठनों से जुड़े हुए थे। गुरुवार को जिला मुख्यालय में पत्रवार्ता कर आइजी हिमांशु गुप्ता ने एसपी टीआर कोशिमा व एएसपी पंकज शुक्ला की उपस्थिति में पूरे मामले का खुलासा किया।
गौरतलब है कि 3 जनवरी को सामरी पाठ थाना अंतर्गत राजेंद्रपुर बाक्साइट माइंस व २५ जनवरी को चांदो थाना क्षेत्र के चटनिया से सबाग सड़क निर्माण में लगे वाहनों को हथियारबंद बदमाशों ने आग के हवाले कर दिया था। इन दोनों स्थान पर माओवादियों के अंदाज में वारदात को अंजाम दिया गया था।
मामले को गंभीरता से लेते हुए छत्तीसगढ़ के डीजी डीएम अवस्थी ने आरोपियों की धरपकड़ के निर्देश दिए थे। इसके बाद आइजी हिमांशु गुप्ता के मार्गदर्शन व एसपी टीआर कोशिमा के निर्देशन में पुलिस टीम आरोपियों की पतासाजी में लगी थी। सबाग में सड़क निर्माण में लगे वाहनों को आग लगाने की घटना के दौरान आरोपी चालक विकलेश का मोबाइल भी लूटकर ले गए थे।
इसी मोबाइल से उन्होंने ठेकेदार के मुंशी राकेश तिवारी व ठेकेदार सुभाष राय को फोन कर लेव्ही की मांग की गई। एक आरोपी ने खुद के मोबाइल से भी फोन कर लेव्ही की मांग की और यही पुलिस के लिए बड़ा सुराग साबित हुआ।
पुलिस ने कॉल ट्रेस कर लेव्ही की मांग करने वाले सामरीपाठ के ग्राम सबाग निवासी 25 वर्षीय बालेश्वर पिता रामप्रसाद यादव व झारखंड के लातेहार जिला अंतर्गत ग्राम बहराटांड़ धरमपुर निवासी 38 वर्षीय चितामन यादव उर्फ चेतन पिता दशरथ यादव को जाल बिछाकर धर दबोचा।
पूछताछ में आरोपियों ने उक्त दोनों स्थान पर अन्य साथियों के साथ मिलकर लेव्ही के लिए आगजनी की घटना को अंजाम देना स्वीकार किया तथा गिरोह का मास्टर माइंड झारखंड के माओवादी संगठन से लंबे समय से जुड़ा रांची जिले के चाय बगान कॉलोनी में रहने वाले ५० वर्षीय रंजन यादव पिता स्व. गोहिल यादव को बताया।
पुलिस ने दोनों आरोपियों से पूछताछ के आधार पर उनके अन्य साथी लातेहार जिला के ग्राम पनेला निवासी 40 वर्षीय गुड्डू तिग्गा उर्फ लालदेव उरांव पिता लसन उरांव व पलामू जिला के ग्राम केवटबार निवासी 27 वर्षीय सतीश यादव पिता भोला यादव व लातेहार जिला के ग्राम मेहुरवा निवासी 18 वर्षीय संतोष यादव पिता भोला यादव को गिरफ्तार किया।
आरोपियों के पास से 4 नग कट्टा, 19 नग जिंदा कारतूस, 5 जोड़ी वर्दी, एमसीसी व टीएसपीसी संगठन के 80 नग पर्चे बरामद, पीएलएफआइ का 1 नग रशीद बुक बरामद किया। पत्रवार्ता में आइजी ने बताया कि गिरोह के मास्टरमाइंड रंजन यादव को भी पुलिस टीम ने झारखंड से हिरासत में ले लिया है।
माओवादी कम्यूनिस्ट पार्टी का स्टेट मेंबर था रंजन, रखता था एके ४७
पुलिस ने बताया कि गिरोह का मास्टरमाइंड रंजन यादव माओवादी कम्यूनिस्ट पार्टी का वर्ष 2005 से स्टेट मेंबर था और झारखंड के महुआडांड़ क्षेत्र में सक्रिय था। वह अपने पास एके 47 रखता था। पूर्व में नक्सली मामलों में 2006 में गिरफ्तार हो चुका है, इसी दौरान उसके साथ चितामन उर्फ चेतन यादव भी सक्रिय था।
वर्ष 2010 में चितामन रंजन के सहयोग से माओवादी संगठन जेजेएमपी में शामिल हुआ था, वर्ष 2013 में रंजन फिर से लातेहार में पकड़ा गया। इसके बाद वर्ष 2016 में रंजन के कहने पर चेतन टीएसपीसी में शामिल हुआ, जेजेएमपी व टीपीसी में रहने के दौरान चेतन रंजन के कहने पर लेव्ही वसूलने का काम करता था। वर्ष 2017 में चेतन व टीपीसी संगठन के लोगों ने सामरी के कुकुद माइंस में आगजनी की घटना को अंजाम दिया था।
पीएलएफआइ के नाम पर बनाई थी वसूली की योजना
वर्ष 2017 में जेल से छूटकर आने के बाद रंजन यादव ने चेतन, बालेश्वर, गुड्डू उरांव आदि को साथ लेकर पीएलएफआइ के नाम पर लातेहार व सामरी क्षेत्र में लेव्ही वसूली करने की योजना बनाई। फिर रंजन यादव ने चेतन और बालेश्वर को माओवादी संगठन जेएलटी के माओवादी दिनेश गोप के पास हथियार लेने भेजा।
यहां से बालेश्वर 4 नग कट्टा व 26 नग कारतूस लेकर लातेहार चेतन के घर आए। यहां रंजन यादव के साथ चेतन, बालेश्वर व गुड्डू तिग्गा की मीटिंग हुई, इसके बाद पीएलएफआइ के नाम पर सामरी क्षेत्र में बाक्साइट माइंस और सड़क निर्माण कार्य कर रहे ठेकेदारों से लेव्ही वसूलने के लिए घटना को अंजाम देने का निर्णय लिया गया।
फिर चेतन, बालेश्वर व गुड्डू ने मिलकर 3 जनवरी सामरी के राजेंद्रपुर बाक्साइट माइंस में वाहनों में आगजनी की घटना व कर्मचारियों से मारपीट को अंजाम दिया। 21 दिन बाद 25 जनवरी को चांदो थाना क्षेत्र के चटनिया से सबाग सड़क निर्माण कार्य में लगे वाहनों में आगजनी व कर्मचारियों के साथ मारपीट की घटना को बालेश्वर, प्रदीप यादव, सतीश यादव, संतोष यादव व दिनेश यादव ने अंजाम दिया। वारदात को अंजाम देने के लिए कट्टा व कारतूस रंजन ने उपलब्ध कराए थे।
आइजी ने की 50 हजार नकद इनाम देने की घोषणा
झारखंड बार्डर के समीप हुई दो बड़ी वारदात की गुत्थी सुलझाने व आरोपियों की धरपकड़ के लिए एसपी टीआर कोशिमा व एएसपी पंकज शुक्ला के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया था। इसमें एसडीओपी कुसमी मनोज तिर्की, एसडीओपी रामानुजगंज नितेश गौतम,
सामरी थाना प्रभारी राजेश खलखो, चांदो थाना प्रभारी रुपेश एक्का, राजपुर थाना प्रभारी सैफुल्ला सिद्दीकी, साइबर सेल प्रभारी राजेंद्र पांडेय, आरक्षक सुधीर सिंह व साइबर सेल की टीम सक्रिय रही। पुलिस टीम की इस सफलता पर आइजी हिमांशु गुप्ता ने ५० हजार रुपए नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है।
दो साल पहले सभी आरोपी जुड़े थे माओवादी संगठन से
एसपी टीआर कोशिमा ने बताया कि पकड़े गए सभी आरोपी दो वर्ष पूर्व झारखंड के टीपीसी सहित अन्य माओवादी संगठनों से जुड़े हुए थे। ये सभी संगठन में अलग-अलग काम कर रहे थे। एसपी ने बताया कि बालेश्वर 2013 में टीपीसी से जुड़ा हुआ था। इसके अलावा चेतन तो रंजन यादव के साथ काम कर ही रहा था।
अन्य तीन आरोपी भी माओवादी संगठनों से जुड़े थे। लेकिन अभी पांचों आरोपी दो साल से सक्रिय नहीं थे, फिर से माओवादी रंजन के निर्देश पर पीएलएफआइ के नाम पर सामरी क्षेत्र में लेव्ही वसूलने के लिए घटना को अंजाम दे रहे थे। आरोपी गुड्डू उरांव 307 के प्रकरण में झारखंड में 10 साल जेल में भी रहा है। एसपी ने बताया कि गिरोह का मास्टरमाइंड रंजन यादव काफी शातिर है, वह कभी झारखंड के चायबगान तो कभी पलामू जिले के पाकी में रहकर ठिकाने बदलता रहता था।