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CG Tourism: पर्यटन के क्षेत्र में जशपुर ले रहा नया रूप, इको-टूरिज्म को दिया जा रहा बढ़ावा पहले बारनवापारा में इंट्री के लिए केवल एक ही मुख्य गेट था। यहीं से
पर्यटकों को सफारी सेवा उपलब्ध कराई जाती थी। भीड़ और कभी-कभी समय की कमी के चलते अव्यवस्थाएं हो रही थीं।
ऐसे में पर्यटकों का अनुभव बार में बेहतर बनाने के लिए तीन नए गेट भालू द्वार पकरीद, तेंदुआ द्वार रवान और
हाथी द्वार बरबसपुर खोले गए हैं। इनके खुलने के बाद पर्यटकों को सफारी के लिए अब बारनवापारा मुख्यालय जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह कदम कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की तरह अत्याधुनिक सफारी सेवा प्रदान करने की नीयत से उठाया गया है।
यहां पर्यटकों को जिप्सी और गाइड भी तुरंत उपलब्ध होंगे। बता दें कि बार में बाघ, हाथी, तितलियों के अलावा सागौन, साल और मिश्रित वनस्पतियां प्रमुख हैं। यहां के तालाबों और नदियों में जलजीवों की भी प्रचुरता है। बलार जलाशय में आर्द्रभूमि पक्षी और मछलियों की विभिन्न प्रजातियां पाई जाती हैं।
ज्यादा नए हिस्सों को एक्सप्लोर कर सकेंगे
इस साल से तीन नए पर्यटक रूट्स भी बनाए गए हैं। इनसे पर्यटकों को बारनवापारा के विभिन्न इलाकों में घूमने का मौका मिलेगा। इससे जंगल के विभिन्न हिस्सों की खोज अधिक सहज और रोमांचक होगी। इन नए रूट्स और गेट्स के साथ अब पर्यटक अधिक सुविधाजनक तरीके से अभयारण्य का भ्रमण कर सकेंगे। जंगल के अधिक इलाकों में जाकर वन्य जीवों को देख सकेंगे।
सैलानियों के समय की बचत, सुविधा भी ज्यादा
मुंबा मचान रिसॉर्ट के जनरल मैनेजर रविन्द्र राठौर ने कहा, नए सफारी मार्ग और गेट के उद्घाटन से दूर-दराज के पर्यटकों को बड़ा लाभ मिलेगा। अब उन्हें गांव तक जाने की जरूरत नहीं होगी। जंगल में प्रवेश करते ही सफारी की शुरुआत हो जाएगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि पर्यटकों को वन्यजीवों को देखना भी और आसान हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इस पहल से बारनवापारा अभयारण्य छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक बन सकता है क्योंकि यह अब एक बेहतर व आकर्षक पर्यटन अनुभव देगा।
ऐसे पहुंच सकते हैं अभयारण्य
बारनवापारा अभ्यारण रायपुर से 106 किमी की दूरी पर स्थित है। रायपुर से सड़क मार्ग द्वारा यहां तक पहुंचने में लगभग दो घंटे का समय लगता है। पटेवा यहां से 28 किमी दूर है। यहां से भी आप आसानी से बारनवापारा तक पहुंच सकते हैं।