बालोद

आज पोला पर्व: जिला मुख्यालय में नहीं होगा कोई आयोजन, बैल सजाओ प्रतियोगिता भी नहीं

छत्तीसगढ़ में लोक पर्व शुरू हो गया है। शनिवार को पोला का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। दो साल से कोरोना के कारण उत्सव फीका रहा। इस साल भी जिला मुख्यालय में कोई आयोजन नहीं होगा। महावीर गौशाला की ओर से मनाए जाने वाले पोला पर्व व बैल सजाओ प्रतियोगिता इस साल भी नहीं होगी।

बालोदAug 26, 2022 / 11:04 pm

Chandra Kishor Deshmukh

मिट्टी के बने बैल और खिलौनों की दुकानें सजी, खरीदार पहुंचने लगे

बालोद. छत्तीसगढ़ में लोक पर्व शुरू हो गया है। शनिवार को पोला का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। दो साल से कोरोना के कारण उत्सव फीका रहा। इस साल भी जिला मुख्यालय में कोई आयोजन नहीं होगा। महावीर गौशाला की ओर से मनाए जाने वाले पोला पर्व व बैल सजाओ प्रतियोगिता इस साल भी नहीं होगी। जिला मुख्यालय के बाजार व प्रमुख चौक-चौराहे में सड़क किनारे मिट्टी के बने बैल व खिलौनों की दुकानें सज चुकी हैं। शुक्रवार को पर्व को लेकर बुधवारी बाजार, सदर बाजार, घड़ी चौक में भीड़ देखी गई व मिट्टी के नादिया बैल की जमकर बिक्री हुई। शनिवार को विधि विधान से पोला पर्व में नादिया बैल की पूजा की जाएगी। इस दिन घर घर विविध पकवान भी बनाया जाएगा।

जोताई और बोआई का काम हुआ पूरा
पोला पर्व कृषि प्रधान रहे छत्तीसगढ़ का प्रमुख त्यौहार है। इस समय किसान अपने खेतों में जुताई-बोआई का काम पूरा कर चुके होते हैं। उनको फसल पकने का इंतजार रहता है। खेती में बैलों का मुख्य रोल रहता है। बैल की पोला पर्व में पूजा कर उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। अब मशीनी युग में हल-बैलों की उपयोगिता कम होने से त्यौहार के प्रति औपचारिकता अधिक हो गई है। इस साल मिट्टी के बैलों की कीमत 50 से 60 रुपए जोड़ी बिक रही है।

इस दिन से बेटी को तीज लाने की परंपरा
पोला पर्व पर भगवान भोलेनाथ की सवारी नादिया बैल की पूजा की जाती है। परंपरा यह भी है कि इस दिन से ससुराल गई बेटियों को तीज लाने जाते हैं। पोला के बाद तीज पर्व शुरू हो जाएगा है। वहीं तीज पर्व को लेकर उत्साह महिलाओं में अभी से देखा जा रहा है।

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