बालोद

मादा साथी की तलाश में भटक रहा बाघ, 15 दिन पहले राजनांदगांव में आया था नजर

पंद्रह दिनों से भटक रहा बाघ मादा साथी की तलाश में गुरूर तक पहुंचा, पहली बार राजनांदगांव के मनगटा में दिखा था यह बाघ।

बालोदJan 10, 2020 / 07:40 pm

CG Desk

मादा साथी की तलाश में भटक रहा बाघ, 15 दिन पहले राजनांदगांव में आया था नजर

रायपुर . छत्तीसगढ़ के गांवों – जंगलों में पिछले पंद्रह दिन से एक बाघ किसी मादा साथी की तलाश में भटक रहा है। वन विभाग के अफसरों – कर्मचारियों के सर्च अभियान के बीच यह बाघ बालोद जिले के गुरूर तक पहुंच गया है। पहली बार 27 दिसम्बर को इसकी तस्वीर राजनांदगांव जिले के मनगटा स्थित वनचेतना केंद्र में लगे कैमरों में कैद हुई थी। उसके बाद से बाघ लगातार दक्षिण – पूर्व की तरफ बढ़ रहा है।
बालोद डीएफओ सतोविशा समजदार का कहना है कि संभव है कि यह बाघ मादा साथी की तलाश में भटक रहा हो। जब तक उसकी तलाश पूरी नहीं हो जाती, वह चलता जाएगा। बाघ को आखिरी बार गुरूर के जंगलों में देखा गया था। अभी उसी के आसपास उसे खोजा जा रहा है। वन अफसरों के मुताबिक बाघ को उसके पगचिन्हों, मल, शिकार और देखने के आधार पर ही खोजा जा सकता है। हाल में हुई बरसात की वजह से उसके पगचिन्ह नहीं मिल रहे हैं। बाघ को बारिश पसंद नहीं है। इसलिए उसके बहुत ज्यादा आगे बढऩे की संभावना नहीं है। वन विभाग का अनुमान है कि बाघ जिस दिशा में बढ़ रहा है वह कांकेर की ओर जाता है। वहां से इंद्रावती टाइगर रिजर्व का इलाका शुरू हो जाएगा। वहां से वह महाराष्ट्र की ओर बढ़ सकता है। वन विभाग ने बाघ की तस्वीर को पड़ोसी राज्यों को भेजा है। अभी तक किसी ने इस बाघ की पहचान नहीं की है।

शिकार का भी खतरा मंडराया
अभी तक बाघ को ट्रेक कर पाने में नाकाम वन विभाग को डर है कि इस बाघ का शिकार भी हो सकता है। ऐसे में वन विभाग और पुलिस महकमें ने सतर्कता बढ़ा दिया है। हाइवे पर गाडिय़ों की तलाशी ली जा रही है।

बाघ बचाने के दावे अभी हवा-हवाई
प्रदेश में बाघ संरक्षण के दावे अभी हवा-हवाई हैं। जुलाई 2019 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की रिपोर्ट में प्रदेश में 19 बाघों की मौजूदगी स्वीकारी है। 2014 की रिपोर्ट में 46 बाघों का दावा था। नवम्बर में वन्य जीव बोर्ड की बैठक में मध्य प्रदेश से चार मादा और दो नर बाघ लाने का फैसला हुआ। अभी तक उसमें कुछ काम नहीं हुआ। तय हुआ था कि उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व में अकेली मादा बाघ है वहां नर नहीं है, अचानकमार से एक बाघ को उदंती भेजा जाएगा। ऐसा नहीं किया जा सका। बाघों को रेडियो कॉलर लगाने की बात हुई थी। वन विभाग मध्य प्रदेश से एक रेडियो कॉलर उधार मांगकर लाया है। अभी तक उसे किसी को लगाया नहीं गया।

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