बालोद

शासकीय अस्पताल में चोरों का आतंक, जो ले जाते बना ले गए, जिसे नहीं ले जा पाए उसे तोड़ दिया

घटना की जानकारी के बाद से अस्पताल प्रबंधन के होश उड़ गए हैं। वे घटना पर किसी तरह की जानकारी देने की स्थिति में नहीं हैं, वे जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

बालोदJun 15, 2018 / 10:04 am

Satya Narayan Shukla

शासकीय अस्पताल में चोरों का आतंक, जो ले जाते बना ले गए, जिसे नहीं ले जा पाए उसे तोड़ दिया

बालोद. जिले के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल जच्चा-बच्चा केंद्र में चोरों ने खूब उत्पात मचाया है। सुरक्षा नहीं होने का लाभ उठाते हुए चोरों ने हजारों रुपए के यंत्र उठा कर ले गए हैं। वहीं लाखों के कई उपकरणों से तोडफ़ोड़ भी की गई है। 12 करोड़ की लागत से बने इस अस्पताल में ऐसी घटना होना साफ जाहिर करता है कि यहां कीमती सामानों की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इसलिए प्रबंधन को पता नहीं है कि यह घटना कब हुई होगी।
घटना की जानकारी के बाद से अस्पताल प्रबंधन के होश उड़ गए
यही नहीं इस अस्पताल के सबसे ऊपर चौथे माले में फर्श पर ऐसे निशान भी मिले हैं जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि यहां लड़के व लड़कियां भी सूनी जगह का लाभ उठाने आते हैं। इससे ऐसा लग रहा है कि भवन के ऊपर वाले तल की ओर प्रबंधन का कोई ध्यान नहीं। जबकि ऊपर माले के कमरों में कीमती सामान, यंत्र रखे हुए हैं। घटना की जानकारी के बाद से अस्पताल प्रबंधन के होश उड़ गए हैं। वे घटना पर किसी तरह की जानकारी देने की स्थिति में नहीं हैं, वे जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
ये सामान स्टोर रूम से हो गया गायब
प्रबंधन ने जानकारी दी कि अस्पताल से दर्जनभर आइना, तीन नग गीजर जो पानी ठंडा व गर्म करता है गायब है। तीन नग पंखे, अस्पताल के अंदर सीढिय़ों में लगे स्टील की रोलिंग के गोले चोरी हुए हंै। इन सभी की कीमत लगभग 70 हजार के करीब आंकी जा रही है। वहीं चिकित्सा के लिए लाए लाखों के अत्याधुनिक उपकरणों को भी तोड़ दिया है।
तीसरे व चौथे तल पर दिया घटना को अंजाम
12 करोड़ की लागत से बने जच्चा-बच्चा अस्पताल चार मंजिला है। प्रथम तल से आना-जाना व दूसरे तल में जच्चा-बच्चा केंद्र है, जहां नवजात बच्चों का इलाज होता है, पर तीसरे व चौथे तल का अभी कोई उपयोग नहीं किया जा रहा है। यहां कोई काम नहीं होता। इलाका सूना रहता है। इसी का लाभ उठाते हुए तीसरे व चौथे तल पर घटना को अजाम दिया है।
 

निशान बता रहे असामाजिक तत्वों का बन गया है अड्डा

यहां एक बात और है कि जिस तरह के निशान तीसरे व चौथे माले के फर्श पर मिले हंै उससे यह भी लग रहा है कि यहां पहले से बाहरी लोगों का आना-जाना लगा रहता है। कहा जाए असमाजिक तत्वों का अड्डा बन चुका है। इसमें प्रबंधन की बड़ी लापरवाही दिख रही है। अस्पताल प्रबंधन करोड़ों के अस्पताल की सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया है। यहां कैमरे लगाए हैं और न ही कोई चौकीदार रखा है।
चार बच्चे दौड़ते हुए सीढिय़ों से उतरे तब ऊपर गई स्टाफ नर्स
घटना की जानकारी स्टाफ नर्स को तब हुई जब चार लड़के ऊपर से दौड़ते हुए आए और भाग निकले। उसकी जानकारी नर्स ने जच्चा-बच्चा केंद्र के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. श्रीमाली को दी। उसके बाद सिविल सर्जन व उनकी टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया। उपर माले में पहुंचने पर जैसे ही सामानों की स्थिति देखी और चोरी की घटना का पता चला तो उनकी आंखें खुली की खुली रह गई। उसके बाद कार्रवाई कराने की बात कहते रह गए, पर थानेे में चोरी की घटना की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई थी।
पत्रिका ने एसडीएम को दी सूचना, तब की पुलिस में रिपोर्ट
पत्रिका रिपोर्टर को जैसे ही इस मामले की सूचना मिली, तो पहले घटना की सच्चाई जानने अस्पताल पहुंचे और जहां चोरी हुई थी उस कमरे में जाकर जांच की। पता चला बिना सुरक्षा के सामान कमरे में रखे गए हैं। उसके बाद एसडीएम को इसकी सूचना दी। एसडीएम ने सिविल सर्जन को तत्काल मामले पर रिपोर्ट दर्ज करने कहा, उसेक बाद थाने में प्रबंधन ने मामले पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

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