आदर्श आचार संहिता बन रही बड़ी बाधा केसरी ठाकुर का कहना है कि सबसे बड़ी बाधा आदर्श आचार संहिता है। पुलिस प्रशासन सहित तमाम अमला चुनाव में जुटा है। बड़ी बात यह है कि खुद गुमशुदा मंगेश्वर ठाकुर पुलिस परिवार से जुड़ा है। एक भाई विशाल ठाकुर पुलिस में बस्तर क्षेत्र में पदस्थ है, लेकिन चुनावी ड्यूटी के चलते उसे भी छुट्टी नहीं मिल रही है। इधर बहन का कहना है कि हमने गृह मंत्री से शिकायत की है। साथ ही पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) में भी ऑनलाइन शिकायत प्रेषित कर दी है। गृह मंत्री के पास शिकायत के समय हमें एक नंबर भी दिया गया था कि इस पर कॉल करते रहें और जांच की जानकारी लेते रहें।
कोयंबटूर पुलिस नहीं रही ठोस जवाब उन्होंने कहा कि मंगेश्वर ठाकुर के साथ ईशा फाउंडेशन के मेले के बाद कोई अनहोनी हुई है। अंतिम बार जब भैया ने फोन पर बात की तो उन्होंने कहा था कि मैं बुरी तरह से फंस चुका हूं। मुझे यहां से छुड़ाकर ले जाओ, मुझे बचा लो। उसके बाद से मोबाइल नंबर बंद है। हमने सुना है कि ईशा फाउंडेशन से 2016 से अब तक छह लोग लापता हैं। इस संदर्भ में हाईकोर्ट में याचिका भी दायर हुई है। जिसके बाद तमिलनाडु पुलिस ने कोर्ट में लापता लोगों की जानकारी भी बताई है। ऐसे में ईशा फाउंडेशन भी सवालों के घेरे में है।
युवक को तत्परता से खोजे पुलिस प्रशासन उन्होंने कहा कि आचार संहिता के साथ गुमशुदगी के इस पुराने मामले में पुलिस प्रशासन को खोजबीन जारी रखनी चाहिए या फिर आचार संहिता हटते ही तत्परता दिखाई जानी चाहिए। हम अपने स्तर पर पूरा प्रयास कर ही रहे हैं। पुलिस की मदद मिलनी जरूरी है। हमें चिंता है कि खोजबीन में देरी हुई तो हमारे भाई के साथ कोई ऐसी घटना ना हो जाए जो कल्पना से बाहर हो।