बालोद

कोरोना महामारी के बाद नेत्रदान में आई कमी, 28 लोगों को आंखों का इंतजार

कोरोना महामारी के बाद नेत्रदान में काफी कमी आ गई है। इसका खामियाजा नेत्र ज्योति का इंतजार कर रहे लोगों को भुगतना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में लगभग 178 लोगों को दुनिया देखने नेत्रदान का इंतजार है। लोग मरनोपरांत नेत्रदान कर सकते हैं। आपके नेत्रदान से दो लोगों की जिंदगी में उजियारा आ सकता है।

बालोदDec 28, 2022 / 10:42 pm

Chandra Kishor Deshmukh

सदर मार्ग निवासी रमेश प्रसाद गुप्ता (80) ने मरणोपरांत अपने नेत्रदान की घोषणा की थी। उनके परिजनों की उपस्थिति में नेत्र विभाग की टीम ने उनकी दोनों आंख को सुरक्षित निकाला।

बालोद. कोरोना महामारी के बाद नेत्रदान में काफी कमी आ गई है। इसका खामियाजा नेत्र ज्योति का इंतजार कर रहे लोगों को भुगतना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में लगभग 28 लोगों को दुनिया देखने नेत्रदान का इंतजार है। लोग मरनोपरांत नेत्रदान कर सकते हैं। आपके नेत्रदान से दो लोगों की जिंदगी में उजियारा आ सकता है। हालांकि विभाग नेत्रदान के प्रति लोगों को जगरूक करने लगातार प्रयास कर रहा है, लेकिन लोग नेत्रदान करने में आगे नहीं आ रहे हैं। नेत्रदान करने वालों की संख्या में कमी नेत्र विभाग कर लिए चिंता का कारण बना हुआ है। वहीं दो साल में अब तक 9 लोगों ने नेत्रदान किया है। इन 9 लोगों की 18 आंखों से नेत्रहीन लोगों के जीवन फिर से रंगीन हो गया है। अब वे दुनिया देखने लगे हैं।

बीते साल 5 लोगों ने किया था नेत्रदान
साल 2020 से पहले नेत्रदान की संख्या अच्छी थी। कोरोना संक्रमण के बाद नेत्रदान में कमी आई, क्योंकि उस समय कोरोना चरम पर था। बीते साल 2021 में कुल 350 लोगों ने नेत्रदान की घोषणा की थी। वहीं 5 लोगों ने नेत्रदान भी किया था। इस साल अभी तक 250 लोगों ने ही नेत्रदान की घोषणा की है। वहीं अभी तक 4 लोग नेत्रदान भी कर चुके हैं।

जिले में 28 दोनों आंख व 150 लोग एक आंख से नेत्रहीन
नेत्र विभाग के मुताबिक जिलेभर में 178 लोग नेत्रहीन हैं। 28 लोग दोनों आंख से नेत्रहीन हैं। वहीं लगभग 150 लोग एक आंख से नेत्रहीन हैं। वहीं अभी भी सर्वे चल रहा है। सर्वे पूरा होने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

अंध विश्वास को किया जा रहा है दूर
जिला नेत्र अधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि नेत्रदान के प्रति अभी भी कई लोगों में अंधविश्वास है। लोगों को लगता है कि नेत्रदान करने पर आंख निकालने पर लोग नए जन्म में अंधे पैदा होते हैं। लेकिन ऐसा नहीं हैं। नेत्र विभाग लगातार लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक कर रहा है, जिससे अंधविश्वास को दूर किया जा सके।

रमेश प्रसाद गुप्ता दो नेत्रहीन के जीवन में कर गए उजाला
बालोद. नगर के सदर मार्ग निवासी रमेश प्रसाद गुप्ता (80) का बुधवार को निधन हो गया। उन्होंने मरने से पहले नेक काम करते हुए दो नेत्रहीन के जीवन में उजाला ला दिया। उन्होंने मरणोपरांत अपने नेत्रदान की घोषणा की थी। उनके परिजनों की उपस्थिति में नेत्र विभाग की टीम ने उनकी दोनों आंख को सुरक्षित निकाला। वहीं नेत्रों को मेडिकल कॉलेज रायपुर ले जाया गया। इस नेत्रदान दौरान उनके पुत्र आशीष गुप्ता, विपुल गुप्ता, अखिलेश गुप्ता, राजकुमार गुप्ता एवं पूरे परिवार के सदस्य मौजूद थे। वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीम में बीएमओ डॉ. जितेंद्र सिंह, नेत्र चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कुमार सिन्हा आदि उपस्थित रहे।

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