छत्तीसगढ़ राज्य बनने के कुछ साल बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 1912 में अंग्रेजों के जमाने में बनाए गए तांदुला जलाशय को उसकी प्राकृतिक सुंदरता, घने वन, पहाड़ों से घिरे होने के कारण पर्यटन स्थल में शामिल किया गया। जिला बनने के बाद इसे संवारने का प्रयास जिला प्रशासन ने किया। अधूरी योजना के कारण छत्तीसगढ़ व जिले का यह पर्यटन स्थल आज भी उपेक्षित है। यहां पर्यटक तो रोजाना आते हैं। बारिश के दिनों में इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है। लेकिन यहां पर्यटकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि यह जलाशय तीन जिले बालोद, दुर्ग, बेमेतरा का दीवनदायिनी है। भिलाई स्टील प्लांट की धमन भ_ियों को शांत भी करता है।
तांदुला जलाशय में पर्यटन विभाग ने राजनांदगांव के रानी सागर से नाव भी लाया। पर्यटन विभाग की ओर से लगभग एक करोड़ की लागत से इस जलाशय क्षेत्र को संवारने की योजना है, लेकिन सालभर से यह योजना सिर्फ कागजों में ही है।
जिले के ओनाकोना, सियादेवी सहित कई ऐसी जगह है, जहां कई सुपरहिट फिल्मों की शूटिंग हुई। सिया देवी व ओनाकोना में तो अक्सर भोजपुरी व छत्तीसगढ़ी फिल्मों की शूटिंग भी होती रहती है। साथ ही बॉलीवुड फिल्मों की भी शूटिंग जिले में हो चुकी है। न्यूटन फिल्म को ऑस्कर अवार्ड भी मिला, जिसके कुछ सीन जिले में ही शूट किए गए थे। इसके अलावा देव पंडुम, चितवाडोंगरी, बहादुर कलारिन मंदिर के अलावा और भी कई अच्छी जगह है, जिसे पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है।
शासन-प्रशासन ने तांदुला जलाशय को पिकनिक स्पॉट बनाने कई प्रयास किए। यह प्रयास कुछ दिनों के लिए ही रहा। चार साल पहले ही जिला प्रशासन ने खनिज न्यास निधि से 60 लाख रुपए खर्च कर नौका विहार के लिए नाव भी खरीदी। यह योजना सालभर भी नहीं चल पाई। वर्तमान में नाव टूटी-फूटी स्थिति में पड़ी हुई है।
जिले के गौरैया धाम को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह सहित वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की। इसी तरह एक साल पहले ही भोला पठार में आए प्रदेश के पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने भी इसे पर्यटन स्थल बनाने का प्रयास करने की बात कही थी। इन दोनों जगह तो प्रशासनिक कार्रवाई चल रही है लेकिन अभी तक पर्यटन स्थलों की सूची से नाम गायब है। इन दोनों स्थानों पर प्राचीन शिव मंदिर भी है।
जिले के क्षेत्रीय अन्वेषक अरमान अश्क ने बताया कि जिले में पर्यटन स्थल विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं। जिससे लोगों को रोजगार और शासन प्रशासन को समुचित लाभ प्राप्त होगा। ग्राम ओना- कोना महानदी के तट पर स्थित है। प्रकृति ने इसे पर्यटन के लिए स्वयमेव सुसज्जित किया है। यहां अतिरिक्त निर्माण की आवश्यकता नहीं है। बस इसे पर्यटन के रूप में घोषित करें। यहां कई फिल्मों की शूटिंग भी की गई है। इसी प्रकार डौंडीलोहारा विकासखंड में महापाषाण युगीन चितवा डोंगरी और देव पनडुम स्थल को भी पर्यटन के रूप में विकसित किया जा सकता है।
अजय श्रीवास्तव, इंचार्ज ऑपरेशन सेक्शन, पर्यटन विभाग ने बताया कि तांदुला जलाशय में वौका विहार, गार्डनिंग कराई जाएगी। एक करोड़ से भी ज्यादा का बजट है। कोरोना के कारण काम रुका है। आने वाले साल में तांदुला बेहतरीन पर्यटन स्थल के रूप में पहचान बनाएगा जिसकी तैयारी पर्यटन विभाग कर रहा है।