Devuthani Ekadashi बालोद जिला मुख्यालय सहित आसपास के ग्रामीण अंचलों में मंगलवार को देवउठनी एकादशी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। लोगों ने तुलसी चौरा में पूजा की।
पूजा कर मौसमी फल अर्पित किया
भगवान शालिग्राम एवं देवी तुलसी का विवाह रचाकर श्रृंगार सामग्री एवं मौसमी फल अर्पित किया। पूजा के बाद आसपास के घरों में प्रसाद बांटा गया। बच्चों ने पटाखे फोड़कर खुशियां मनाई। शहर का बाजार पूजन सामग्री व गन्ने से गुलजार रहा। गन्ना 50 से 80 रुपए व 100-120 जोड़ी में बिका।
महिलाओं ने घर-आंगन में आकर्षक रंगोली बनाई। शाम ढलते ही तुलसी चौरा के पास गन्ने का मंडप सजाकर दीपक जलाए। तुलसी माता को श्रृंगार सामग्री अर्पण कर विधि-विधान से पूजा- अर्चना की। भगवान शालिग्राम को मौसमी फल केला सेव, सिंघाड़ा, मूंगफली, अमरूद, सीताफल, संतरा, कंदमूल एवं घरों में बनाए व्यंजन का भोग लगाया गया। लोगों ने दिनभर व्रत रखकर शाम को पूजा के बाद फलाहार कर व्रत तोड़ा।
तुलसी विवाह के बाद शादी का भी मुहूर्त शुरू हो जाता है। इस दिन से विवाह योग्य लड़के और दुल्हन की तलाश शुरू हो जाती है। लोग तुलसी विवाह के बाद लड़की देखने की प्रक्रिया को शुभ मानते हैं।
यदुवंशियों ने दोहा पार कर मनाया पर्व
ग्रामीण अंचलों में ग्वालों ने दोहा पार कर गाय, बछड़ों और बेलों को मोर पंख से सुसरियात सोहई बांधी। यदुवंशियों ने बाजे-गाजे की थाप पर थिरकते हुए घर-घर जाकर मवेशियों को सोहई बांधी। यदुवंशियों को सम्मान स्वरूप लोगों ने कपड़े, चावल व रुपए दिए।
2024-2025 में विवाह का शुभ मुहूर्त
श्री देव-पंचांग के अनुसार देवउठनी एकादशी के बाद नवंबर में शादी-ब्याह के लिए 22, 23 और 27 को शुभ मुहूर्त है। दिसंबर में 4, 6, 7, 12 और 14 को लग्न है। जनवरी 2025 में 16, 17, 21 22 और 30 को विवाह के लग्न हैं। फरवरी में 3, 4, 6, 7, 13, 18, 20, 21 और 25 विवाह के लिए शुभ मुहूर्त है। मार्च में 3, 5 और 5 को लगन है। इसी तरह अप्रैल में 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29, 30, मई में 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27, 28 और जून में 2, 4, 5, 7, 8 को लग्न हैं।
ठाकुर देव की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की
ग्रामीण अंचल के साथ शहर के कुछ वार्डों जैसे पांडेपारा, नयापारा, शिकारीपारा, कुंदरू पारा, बूढ़ापारा, आमापारा में गांव के ठाकुर देवता की पूजा की गई। गांव के बैगा व किसानों ने भी भगवान से प्रार्थना की कि धान का उत्पादन अच्छा हो। गांव-मोहल्ले में सुख समृद्धि बनी रहे।
शहरीकरण के कारण विलुप्त होते जा रही परंपरा
पांडे पारा मोहल्ले के सियान आरपी यादव ने बताया कि किसान और वसुंधरा सुख समृद्ध बने, इसलिए ठाकुर देव की पूजा की जाती। इस दिन पारा या गांव वाले काम बंद रख ठाकुर देव स्थल में उपस्थित रहते हैं। इस दिन गांव के बैगा विधि विधान से किसानों की प्रकिया को पूजा स्थल में पूरा किया। खीर का भोग देवता को देने के बाद उसे उपस्थित लोगों को दिया गया। अब यह परंपरा शहरीकरण के कारण विलुप्त होते जा रही है। सामुदायिक पूजा को महत्व न देकर व्यक्तिगत पूजा में व्यस्त है इस परम्परा को बचाया जाना है।
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