बालोद

बचपन के शौक को बना लिया अपना पेशा, चंद मिनटों में बना रहे हूबहू स्कैच

शौक को बना लिया पेशा। इस युवा के हाथ में है जादू। चंद मिनटों में ही किसी भी की चेहरे फोटो का हूबहू स्कैच बना लेता है। कड़ी मेहनत एवं लगन को देखते हुए लोग अपना स्क्रैच बनवाने पहुंच रहे हैं।

बालोदDec 03, 2024 / 11:32 pm

Chandra Kishor Deshmukh

Photo Sketch शौक को बना लिया पेशा। इस युवा के हाथ में है जादू। चंद मिनटों में ही किसी भी की चेहरे फोटो का हूबहू स्कैच बना लेता है। कड़ी मेहनत एवं लगन को देखते हुए लोग अपना स्क्रैच बनवाने पहुंच रहे हैं।

अन्य युवाओं को कर रहे प्रेरित

आज बहुसंख्यक युवा पढ़कर नौकरी करना चाहते हैं। कई युवा अपने हुनर व शौक को व्यवसाय बनाकर अन्य युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं। हम बात कर रहे है विकासखंड के छोटे से ग्राम हसदा के 20 वर्षीय युवक टारजन कुमार की।
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बचपन से ही स्कैच बनाने का था शौक

इस उम्र में ही टारजन ने अपनी सोच एवं हुनर का लोहा मनवा लिया है। उनके कैनवास में वह जादू है कि लोग उसे देखते ही दांतों तले उंगली दबाने मजबूर हो जाते है। उन्होंने बताया कि बचपन से स्कैच बनाने का शौक था। अपने बनाए स्कैंच में कुछ कमियां देख एक माह का प्रशिक्षण लिया। अब चंद मिनटों में फोटो चेहरा देखकर हुबहू स्कैच बना लेते हैं। ग्राम मेंमहत्व नहीं मिला तो विकासखंड मुख्यालय गुरुर पहुंचे, जहां समाजसेवी जयंत किरी से सहयोग एवं मार्गदर्शन मिला।
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कार्य श्रम साधना और एकाग्रता मांगता है

उन्होंने बताया कि आज उनका शौक व्यवसाय बन गया है। अभी कम ऑर्डर मिलते हैं। समय के साथ ऑर्डर बढऩे की उम्मीद है। वे बताते हैं कि वर्तमान में माह 4 हजार से 5 हजार तक कमा पाते हैं। यह कार्य श्रम साधना एवं एकाग्रता मांगता है।

कभी नौकरी करने का विचार नहीं आया

उनका एक छोटा भाई है, जो पढ़ाई कर रहा है। माता-पिता मजदूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि कभी नौकरी करने का विचार नहीं आया। अपने शौक हुनर को ही व्यवसाय बनाकर जीवकोपार्जन करने का प्रयास कर रहा हूं।

स्कैचिंग के प्रति लोगों में रूझान कम

उन्होंने बताया कि अभी लोगों में इसके प्रति रूझान कम है, जिसके कारण ऑर्डर बहुत कम मिलते हैं। दो साल से स्कैचिंग कर रहा हूं। अब धीरे-धीरे ऑर्डर मिलने लगे है। मेरी कड़ी मेहनत को देखने के बाद भी कुछ लोग मुझसे फ्री में स्कैचिंग कराने आ जाते हैं, जिन्हें मैं विनम्रता से मना कर देता हूं। दुख होता है कि लोगों को फ्री में पाने की इतनी लत लग गई है कि वे दूसरों की मेहनत की कद्र नहीं कर रहे हैं।

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