बालोद

CG Temple: छत्तीसगढ़ का 1 ऐसा मंदिर जहां की जाती है कुत्ते की पूजा, दिग्गज भी झुकाते हैं सिर…जानिए इसकी अनोखी कहानी

CG Temple: नवरात्रि पर्व में पर लोग देवी मां के नाम से अपनी मनोकामना पूर्ण करने मनोकामना ज्योतिकलश जलाते हैं। बालोद से महज 6 किमी दूर स्थित ग्राम खपरी में ऐतिहासिक व पुरातात्विक कुकुर देव मंदिर है।

बालोदMay 21, 2024 / 05:25 pm

Khyati Parihar

Kukur Dev Mandir CG Temple: नवरात्रि पर्व में पर लोग देवी मां के नाम से अपनी मनोकामना पूर्ण करने मनोकामना ज्योतिकलश जलाते हैं। बालोद से महज 6 किमी दूर स्थित ग्राम खपरी में ऐतिहासिक व पुरातात्विक कुकुर देव मंदिर है। यहां भी लोग मनोकामना ज्योतिकलश जलाते हैं। लोग वफादारी का ज्योत भी मानते हैं। यहां कुत्ते की पूजा की जाती है। मंदिर राज्य में प्रसिद्ध है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी कुकुर देव के सामने शीश झुकाकर नमन कर चुके हैं।

CG Temple: 14वीं-15 वीं शताब्दी का है यह मंदिर

पुरातत्व विभाग की माने तो मंदिर का निर्माण फणी नागवंशीय शासकों ने 14वीं-15वीं शताब्दी के बीच कराया था। मंदिर को देखने व समझने छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्य के लोग भी आते हैं। मंदिर के गर्भ गृहमें शिवलिंग स्थापित है। पास में स्वामी भक्त कुत्ते (Kukur Dev Mandir CG Temple) की प्रतिमा है।

कुत्ते की वफादारी देख हुआ पछतावा

कुत्ते की मौत के बाद में बंजारे को मालगुजार के लिखे पत्र को देखकर कुत्ते की स्वामी भक्ति और कर्तव्यनिष्ठा का अहसास हुआ, उसी दिन से वफादार कुत्ते की स्मृति में कुकुर देव मंदिर स्थल (Kukur Dev Mandir CG Temple) पर उसकी समाधि बनाई।
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इस कारण बना कुकुर देव का मंदिर

मनुष्य का गुण व्यवहार उसे देवता बना देता है। यह कहावत तो सभी जानते है। पशु की वफादारी का गुण उसे पूजनीय बना सकता है यह न के बराबर सुना होगा। खपरी का कुकुर देव मंदिर (Kukur Dev Mandir CG Temple) वफादार कुत्ते व भगवान शिव को समर्पित है। खपरी कभी बंजारों की बस्ती थी। एक बंजारे के पास स्वामी भक्त कुत्ता था। कालांतर में क्षेत्र में अकाल पड़ा। बंजारे को कुत्ता मालगुजार के पास गिरवी रखना पड़ा। मालगुजार के घर एक दिन चोरी हुई और स्वामी भक्त कुत्ते ने चोरों की ओर से छिपाए गए धन के स्थल को पहचान कर मालगुजार को उस स्थल तक ले गया।

नागवंशी राजाओं ने बनाया मंदिर

कुत्ते की समाधि स्थल पर उसकी याद में फणी नागवंशीय राजाओं ने 14वीं-15वीं शताब्दी में यहां मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर निर्माण के बाद से कुकुर देव (Kukur Dev Mandir CG Temple) की पूजा होती है। लोगों की मान्यता है कि सच्चे मन से पूजा करने पर मनोकामना पूरी हो जाती है।

कुत्ते की वफादारी के कारण बनाई समाधि, फिर बना मंदिर

CG Temple: मालगुजार कुत्ते की वफादारी से प्रभावित हुआ। उसने कुत्ते के गले में वफादारी का एक पत्र बांधकर मुक्त कर दिया। कुत्ता जब अपने पुराने मालिक बंजारे के पास पहुंचा तो उसने यह समझ कर कि कुत्ता मालगुजार को छोड़कर वापस आ गया। गुस्से में कुत्ते पर प्रहार किया, जिससे कुत्ते की मृत्यु हो गई।
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