आठ से दस गांव का मुय मार्ग
ग्रामीणों के मुताबिक यह 8 से 10 गांव का मुय मार्ग है। इसी मार्ग से होकर सिकोसा, कलंगपुर, माहुद व गुंडरदेही जाते हैं, 22 साल में तीन विधायक आ गए, लेकिन किसी ने भी सड़क के दोबारा डामरीकरण के प्रयास नहीं किए। आज भी ग्रामीण बड़े-बड़े गड्ढे वाली सड़क से आवाजाही करने मजबूर हैं।
CG News: साल 2009 में हुआ था डामरीकरण
ग्रामीण कमलनरायण साहू, आसकरण, दीनदयाल, चुरामन साहू ने बताया कि 2009 में ईरागुड़ा से पायला तक सड़क का डामरीकरण हुआ था। इसके बाद से आज तक मरमत के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही कर रहे हैं। रात में दुर्घटना का खतरा ज्यादा
सड़क के
गड्ढों में पानी भर गया है और रात के समय चलना किसी खतरे से कम नहीं है। अब ग्रामीणों ने भी मन बना लिया है। आने वाले नए साल तक सड़क की मरमत के लिए कोई पहल नहीं हुई तो आंदोलन करेंगे।
विद्यार्थियों ने कहा-साहब हमारे लिए सड़क बनवा दो
इस गड्ढेयुक्त सड़क से होकर विद्यार्थी स्कूल,
कॉलेज जाते हैं। इस मार्ग से लोगों को वर्षों से हो रही परेशानियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। कॉलेज विद्यार्थी रागनी, दामिनी, युगल किशोर व हाईस्कूल के छात्र टेमिन, नमिता ने कहा कि साहब इस मार्ग की मरमत व नए सिरे से डामरीकरण जरूर कराएं। क्षेत्र के विधायक, लोक निर्माण विभाग को विशेष ध्यान देना चाहिए।
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“बारिश से डर नहीं लगता साहब…गड्ढों से बचा लो”,मरते-मरते बच रहे हैं लोगजांजगीर-चांपा में बारिश में खराब सड़कें लोगों के लिए मुसीबतें साबित हो रही है। बारिश पूर्व अगर मेंटनेंस में ध्यान दिया गया होता तो हालात ऐसे नहीं होते। अब तो हालात यह है कि जिला मुख्यालय में प्रवेश के रास्तों में ही जानलेवा सड़कों का सफर शुरू हो जाता है।
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