बता दें कि इस ऐतिहासिक जगह के बारे में शासन प्रशासन सहित पुरातत्व व संस्कृति विभाग को भी ज्यादा जानकारी नहीं है। इस प्राकृतिक गुफा व गुफा के अंदर हुई चित्रकारी को देखने बड़ी संख्या में पर्यटक आते हंै। इस ऐतिहासिक क्षेत्र को पर्यटन के रूप में विकसित करने की दरकार है।
इस क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए पुरातत्व व संस्कृति विभाग मौन है। इस क्षेत्र के महत्व को देखते हुए वन विभाग आगे आया है। इस क्षेत्र को विकसित करने की योजना बनाई है। योजना के तहत विभाग लगभग 29 लाख रुपए खर्च करेगा। वैसे वन विभाग की पहल को देखते हुए पुरातत्व और संस्कृति विभाग को भी आगे आने की जरुरत है।
वन विभाग इस क्षेत्र के 50 हेक्टेयर चट्टानी जगह को फेंसिंग कराएगा। बोर खनन, टॉयलेट निर्माण, स्ट्रीट लाइट, गार्डन का निर्माण व सोलर हैंडपंप लगाया जाएगा। यही नहीं सप्ताह में एक दिन इस क्षेत्र और गुफा तथा गुफा के अंदर चित्रकारी के बारे में आने वाले लोगों को जानकारी दी जाएगी।
जानकारी के मुताबिक इस क्षेत्र में हजारों वर्ष पहले गोंड कालीन राजा महाराजाओं का राज था। बताया जाता है कि उसी समय इस गुफा के अंदर चित्रकारी की गई थी। इतने वर्षो बाद भी गुफा और गुफा के भीतर हुई चित्रकारी और शिलालेख सुरक्षित है। यह अभी ज्ञात नहीं हुआ है कि गुफा कितने साल पुराना और किसने गुफा के अंदर चित्रकारी की है। गुफा के भीतर अंधेरा होने की वजह से चित्रकारी को देखने टार्च ले जाना पड़ता है। धीरे धीरे यह क्षेत्र प्राकृतिक गुफा व गुफा के अंदर चित्रकारी के रूप में चर्चा में आ रही है।
डीएफओ एसपी पैकरा ने बताया कि जिले का यह ऐतिहासिक क्षेत्र है। इस क्षेत्र में प्राकृतिक गुफा और गुफा के अंदर चित्रकारी व लेख है। इस क्षेत्र को विकसित करने की योजना बनी है। योजना के तहत इस क्षेत्र को फेंसिंग कर बायोलॉजिकल पार्क बनाया जाएगा। इसी के साथ उद्यान को भी विकसित किया जाएगा।