जिला अस्पताल के बर्न यूनिट में रैंप नहीं
इधर जिला अस्पताल में 10 बिस्तर बर्न यूनिट बनाने के तीन साल बाद भी कोई लाभ नहीं मिल रहा है। बर्न यूनिट में चढ़ने के लिए रैंप नहीं बनाया गया है। इसके कारण झुलसे केस रेफर किए जा रहे हैं। सारी सुविधाएं बर्न यूनिट में मिल जाती तो रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ती और जिला अस्पताल में ही उपचार हो जाता है।खाना बनाते समय साड़ी में लगी आग
ग्राम झलमला की खाल्हेपारा निवासी जितेश्वरी पटेल (35) दोपहर में खाना बना रही थी। जितेश्वरी के पति जितेंद्र कुमार पटेल घर के बाहर काम कर रहे थे। अचानक महिला की साड़ी में आग लग गई और उसे बुझाने घर में दौड़ने लगी।चीख सुन बुझाने का किया प्रयास
पत्नी की चीख पुकार सुनकर पति जितेंद्र ने पत्नी के शरीर में लगी आग को बुझाने का प्रयास किया। इस दौरान वह भी चपेट में आ गया। घटना को देखते हुए परिजनों व पड़ोसियों ने भी आग बुझाने का प्रयास किया। आग बुझने के बाद तत्काल दोनों को निजी वाहन से जिला अस्पताल पहुंचाया गया। प्राथमिक उपचार कर रेफर कर दिया गया। यह भी पढ़ें
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शो-पीस बन कर रह गया बर्न यूनिट, दो साल से लगा ताला
बालोद जिले में आग से गंभीर रूप से झुलसे लोगों का बेहतर इलाज नहीं हो रहा है। यहां आग से जले लोगों के बेहतर इलाज की सुविधाएं ही नहीं है। ऐसे में दुर्ग, राजनांदगांव व रायपुर रेफर किया जा रहा है। जिला अस्पताल में बर्न यूनिट बनाया गया है, लेकिन संचालन नहीं हो रहा है। दो साल से शो पीस बना हुआ है। इस साल भी यह संचालित नहीं होगा। बर्न यूनिट तक पहुंचने अस्पताल में रैंप व लिफ्ट की सुविधा नहीं है।25 लाख की लागत से बना बर्न यूनिट
जिला अस्पताल में सीजीएमएस ने 25 लाख 60 हजार की लागत से बर्न यूनिट का निर्माण किया है। लेकिन तीसरी मंजिल में बर्न यूनिट तक मरीजों को ले जाने रैंप की व्यवस्था नहीं की। वहीं स्टाफ की भी भर्ती नहीं हुई है। स्वास्थ्य विभाग ने स्वास्थ्य संचालनालय को पत्र लिखा है कि जल्द स्टाफ की भर्ती करें और रैंप को स्वीकृति दे, लेकिन विभाग ने कोई जवाब नहीं दिया है।आईसीयू में आठ बिस्तर की सुविधा
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक बर्न यूनिट 8 बिस्तर का बनाया गया है। इसमें आईसीयू, वेंटिलेटर, चिकित्सक एवं स्टाफ नर्स वार्ड सहित अन्य सुविधाएं होंगी। ऑक्सीजन सपोर्ट भी रहेगा। इसमें ओपीडी, डॉक्टर्स चैंबर, महिला व पुरुष वार्ड के साथ चार टॉयलेट आदि भी बनाए गए हैं। बर्न यूनिट तैयार है। मरीजों को बर्न यूनिट तक पहुंचाने रैंप नहीं है। इलाज के लिए स्टाफ की भर्ती नहीं हुई है। रैंप निर्माण व स्टाफ की भर्ती के लिए डायरेक्टर को पत्र लिखा है। – डॉ. एमके सूर्यवंशीसीएमएचओ, बालोद