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बालोद

कपिलेश्वर मंदिर में 14वीं शताब्दी की गणेश प्रतिमा, नागवंशी राजाओं ने की स्थापित

कपिलेश्वर मंदिर समूह में 13वीं व 14वीं शताब्दी में नागवंशी राजाओं की ओर से बनाए मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा विराजित है। जिले के अधिकांश लोग इन प्राचीन मूर्तियों से अनजान हैं।

बालोदSep 07, 2024 / 12:09 am

Chandra Kishor Deshmukh

Ganesh Chaturthi शनिवार को गणेश चतुर्थी है। इस दिन भक्त विधि विधान से भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करेंगे। जिला मुख्यालय में भगवान गणेश की आधा दर्जन की प्राचीन मूर्ति है।

शहर में लगभग सभी प्रतिमाएं प्राचीन

कपिलेश्वर मंदिर समूह में 13वीं व 14वीं शताब्दी में नागवंशी राजाओं की ओर से बनाए मंदिर में भगवान गणेश की प्रतिमा विराजित है। जिले के अधिकांश लोग इन प्राचीन मूर्तियों से अनजान हंै। शहर में लगभग सभी भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमाएं हैं। इन प्राचीन गणेश प्रतिमाओं की सच्चे मन से पूजा करने से भगवान गणेश मनोकमना पूरी करते हैं।
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कपिलेश्वर मंदिर समूह में दो प्राचीन प्रतिमा

नयापारा में स्थित प्राचीन व ऐतिहासिक कपिलेश्वर मंदिर समूह में दो प्राचीन भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर समूह की बात करें तो 7 प्राचीन मंदिर के सामने स्थित भगवान गणेश की प्रतिमा पत्थर की खुदाई कर बनाई गई है। मंदिर पुरातत्व व संस्कृति विभाग के संरक्षण में है।

स्वयंभू गणेश मंदिर मरारपारा

नगर के मरारपारा में स्थित स्वयंभू गणेश मंदिर भी प्राचीन गणेश प्रतिमा है। बताया जाता है कि यहां भगवान गणेश जमीन से प्रकट हुए हैं, इसलिए इसे स्वयंभू गणेश मंदिर कहते हैं। वर्तमान में मोरिया मंडल मंदिर की देखरेख व पूजा आरती करता है। गणेश चतुर्थी पर मंदिर में 11 दिनों तक भगवान गणेश की विशेष पूजा होती है।
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सिद्धि विनायक मंदिर पाररास

शहर के पाररास में भी प्राचीन गणेश मंदिर है। मुख्य मार्ग से लगे भगवान गणेश मंदिर को सिद्धिविनायक गणेश मंदिर कहते है। वार्डवासी मंदिर में विशेष पूजा करते हैं।

ठाड़ महामाया मंदिर में प्राचीन गणेश प्रतिमा

ठाड़ महामाया मंदिर के सामने भगवान गणेश की प्राचीन प्रतिमा है। यहां भी सबसे पहले भक्तों को भगवान गणेश दर्शन देते हैं। भगवान गणेश की पूजा व दर्शन के बाद ही भक्त मां महामाया के दर्शन व पूजा करते है। बुढ़ापारा में बनाए गए खुला संग्राहालय में भी बारसुर पत्थर से बनी प्राचीन गणेश की प्रतिमा है।

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