बलिया. बलिया जनपद के बैरिया तहसील में स्थित मठ में खीची एक अदृश्य रेखा जिसे किसी ने नहीं देखा पर जिसने भी पार करने की हिमाकत की उसने सिर्फ मौत देखा क्योंकि वो है लक्ष्मन रेखा । रामायण काल में लक्ष्मन ने सीता की सुरक्षा के लिए एक लक्ष्मन रेखा खीची थी । कलयुग में भी ऐसी ही रेखा मौजूद है जिसे 400 साल पहले हठयोगी बाबा मून ने खींचा था । बलिया जिले के बैरिया तहसील में स्थित इस मठ में कोई पुजारी लक्ष्मन रेखा को पार नहीं करता क्योंकि बाबा मून ने इस रेखा को खींचते समय व्रत लिया था की जीते जी इस मठ का कोई पुजारी इसे पार नहीं करेगा। सात पीढ़ियों से यह परम्परा आज भी कायम है। इस दौरान दो पुजारियों ने लक्ष्मन रेखा को पार करने की कोशिश की जिसमें से एक पुजारी को सांप ने डस लिया तो दूसरे पुजारी के शरीर में आग लग गई । आज भी लोग अपनी मनोकामनाओं के साथ इस मद में आते हैं पर इस मठ के पुजारी इस मठ से बाहर कभी नहीं जाते क्योंकी रेखा के इस पार जिन्दगी है तो दूसरी तरफ है मौत ।