दरअसल, मनियर इलाके का एक परिवार शहर के एक मोहल्ले में किराये पर रहता है। उनके घर की सात साल की बच्ची आसपास के बच्चों के साथ खेल रही थी। घटना का पता तब चला जब वह खेल कर घर लौटी और उसकी हालत बिगड़ने लगी
वाराणसी में बच्ची का चल रहा इलाज
शुरुआत में, उसकी मां लड़की को अपनी बहन के यहां ले गई, लेकिन जब उसकी हालत और बिगड़ गई तो वे उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। यहां से डॉक्टरों ने उसे जिला महिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। जिला अस्पताल की महिला चिकित्सकों ने प्रारंभिक उपचार के बाद उसे वाराणसी रेफर कर दिया। पुलिस ने आरोपियों से शुरू की पूछताछ
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, सूचना पर एसपी, सीओ (सिटी) गौरव कुमार और कोतवाली प्रभारी योगेन्द्र बहादुर सिंह समेत कई वरिष्ठ अधिकारी अस्पताल पहुंच गये। परिवार की शिकायत के आधार पर, पुलिस ने आरोपी दोनों नाबालिग लड़कों को पकड़ लिया और उनसे पूछताछ शुरू कर दी। एसपी विक्रांत वीर ने कहा कि किशोर न्याय कानूनों के अनुरूप आगे की कार्रवाई की जाएगी। आइए जानते हैं कि आगे की कार्रवाई क्या हो सकती है, सबसे पहले जानते हैं कि किशोर न्याय कानून(juvenile justice law) क्या है…
क्या है किशोर न्याय कानून?
किशोर न्याय (जुवेनाइल जस्टिस) कानून भारत में ऐसा कानून है, जो बच्चों और किशोरों (18 वर्ष से कम उम्र के) के साथ किए गए अपराधों और अपराधों के लिए उनके पुनर्वास के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। यह कानून उन नाबालिगों के लिए है, जो अपराध करते हैं या किसी अपराध के शिकार होते हैं, ताकि उनके सुधार और देखभाल की व्यवस्था हो सके, न कि सिर्फ सजा दी जाए। किशोर न्याय कानून में क्या है गैंगरेप की सजा?
किशोर न्याय (जुवेनाइल जस्टिस) कानून के तहत, यदि कोई किशोर (18 वर्ष से कम उम्र का) गंभीर अपराध जैसे गैंगरेप में संलिप्त पाया जाता है, तो उसे जेल नहीं भेजा जाता। ऐसे मामलों में किशोर न्यायालय (Juvenile Justice Board) उन्हें सुधारात्मक संस्थानों में भेजने का प्रावधान करता है, जहां उनकी शिक्षा, सुधार और काउंसलिंग होती है।