बालाघाट

बैहर क्षेत्र की बंजर भूमि पर काजू की खेती करने वाले किसानों की उम्मीदों को कब लगेंगे पंख

वर्ष 2015-२०२० तक लगे काजू के पौधे से आ रहे फल प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से मायूसी

बालाघाटDec 17, 2024 / 08:55 pm

akhilesh thakur

वर्ष 2015-२०२० तक लगे काजू के पौधे से आ रहे फल प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से मायूसी
– किसानों ने शासन-प्रशासन से लगाई गुहार पर नहीं हो रही सुनवाई
– चेतावनी, मदद नहीं मिली तो पेड़ काट देंगे किसान

बालाघाट. बैहर, बिरसा, मलाजखंड व उकवा क्षेत्र में काजू का पौधा लगाने वाले किसानों की उम्मीदों को अब तक पंख नहीं लग पाए हैं। पौधे लगाने के समय उनको काजू बोर्ड कोच्चि के डायरेक्टर सहित शासन-प्रशासन के नुमाइंदों ने बड़े-बड़े सपने दिखाए, लेकिन अब सबने मुंह मोड़ लिया है। नतीजा वर्ष २०१५ से २०२०-२१ तक लगाए गए पौधे अब पेड़ बन गए। उनसे फल आने लगे, लेकिन प्रोसेसिंग यूनिट नहीं होने से किसानों को उचित मूल्य (भाव) नहीं मिल रहा है। किसानों की माने तो प्रोसेसिंग यूनिट कैसे स्थापित हो इसको लेकर जो लोग उस समय बड़ी-बड़ी बात करते थे। अब सीधी आंख देखते भी नहीं। शिखर हरित भूमि सेवा संस्थान के संतोष टेम्भरे बीते दिवस किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल के साथ भोपाल पहुंचकर उद्यानिकी, नाबार्ड सहित संबंधित विभाग के उच्चाधिकारियों व जिम्मेदारों से मिलकर पीड़ा बताई। कहा कि बंजर पहाडिय़ों पर हमलोगों ने काजू के पौधे लगाकर उसे हरा भरा किया। पौधे अब पेड़ बन गए और उनमें फल आने लगे, लेकिन प्रोसेसिंग नहीं होने से फल बाजार में नहीं बिक रहे हैं। इसकी वजह से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा। किसान अब पेड़ काटेंगे। संतोष का दावा है कि संबंधित क्षेत्र में १० हजार काजू के पेड़ हैं। कुछ किसानों ने पूर्व में पेड़ काट दिए, जबकि कुछ आने वाले दिनों में काटेंगे।
ऐसे लगे काजू के पेड़

वर्ष २०१५ में एक एनजीओ ने काजू के पेड़ किसानों को देकर बंजर भूमि पर लगवाए। वर्ष २०१९ से २०२०-२१ तक उद्यानिकी विभाग ने काजू के पेड़ किसानों को दिए, जिसे किसानों ने लगाया। आकड़ों गौर करें तो ३०० हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में जिले के सभी विकासखंड में पौधे लगाए गए हैं, जिसमें बैहर व परसवाड़ा तहसील क्षेत्र में सबसे अधिक पौधे लगाए गए। आधे से अधिक पौधे खत्म हो गए। शेष अभी भी है, जिनसे फल आ रहे हैं।
डेढ़ एकड़ में लगाए १४२ पौधे, ६० पेड़ तैयार

उकवा क्षेत्र के किसान ओमेंद्र बिसेन ने ‘पत्रिकाÓ को बताया कि वर्ष २०२० में डेढ़ एकड़ में १४२ पौधे लगाए थे। वर्तमान में ६० पेड़ हैं। दो वर्ष से पेड़ में फल आ रहे हैं। उनका दावा है कि एक पेड़ से ३० से ३५ किग्रा फल निकलता है, जिसे तोड़कर वह दोस्त व रिश्तेदारों में बांट देते हैं, जो भुजकर या उबालकर खाते हैं। एक सवाल के जवाब में बताया कि पौधे लगाने के पहले तीन कार्यशाला में शामिल होकर इसे समझा। कोच्चि से काजू बोर्ड के डॉयरेक्टर कार्यशाला में बालाघाट आते थे। उस समय बताया गया था कि पेड़ से तैयार होने वाले फल से तेल निकलेगा, फिर काजू बनेगा और खूब मुनाफा होगा। अब ये सारी बाते हवा हवाई लगती है। बताया कि मुझे उद्यानिकी विभाग ने नि:शुल्क पौधे दिए थे। सिंचाई और फैसिंग का इंतजाम मैंने खुद किया।
उद्यानिकी व नाबार्ड की टीम का निरीक्षण

किसानों की भोपाल में की गई शिकायत के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया है। उद्यानिकी व नाबार्ड की टीम बैहर क्षेत्र के कुछ गांवों में पहुंची है। टीम किसानों से मिली और पेड़ों का निरीक्षण किया है। अब तक टीम के निरीक्षण में करीब एक हजार पेड़ सामने आए हैं। ऐसे में टीम का दावा है कि क्षेत्र के किसानों ने भोपाल जाकर जो १० हजार पेड़ की बात कही है, वह सही नहीं है। टीम के निरीक्षण पर जाने की पुष्टि सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग क्षितिज करहाड़े व डीडीएम नाबार्ड रोशन महाजन ने ‘पत्रिकाÓ से बातचीत के दौरान की है।

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