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बालाघाट

श्वानों की नसबंदी की योजना ढांक के तीन पात

10 साल में कई गुना बढ़ी आवारा श्वानों की संख्या
बच्चों को घर से बाहर भेजने से कतरा रहे परिजन
शहर की सडक़ों पर नजर आ रहे आवारा श्वान
वर्ष 2012 से आज तक नहीं हुआ सर्वे
आवारा श्वानों से पैदल चलना भी हो रहा दूभर

बालाघाटJan 23, 2025 / 08:39 pm

mukesh yadav

10 साल में कई गुना बढ़ी आवारा श्वानों की संख्या बच्चों को घर से बाहर भेजने से कतरा रहे परिजन शहर की सडक़ों पर नजर आ रहे आवारा श्वान वर्ष 2012 से आज तक नहीं हुआ सर्वे आवारा श्वानों से पैदल चलना भी हो रहा दूभर

10 साल में कई गुना बढ़ी आवारा श्वानों की संख्या
बच्चों को घर से बाहर भेजने से कतरा रहे परिजन
शहर की सडक़ों पर नजर आ रहे आवारा श्वान
वर्ष 2012 से आज तक नहीं हुआ सर्वे
आवारा श्वानों से पैदल चलना भी हो रहा दूभर

बालाघाट. शहर ही नहीं बल्कि पुरे जिले में कुछ वर्ष पूर्व शुरू हुई आवारा श्वानों से परेशानी की समस्या अब गंभीर होती जा रही है। आलम यह हो गया है कि शहर के प्रमुख चौराहों व गलियों से राहगीरों का पैदल चलना भी दूभर हो रहा है। हाथों में बैग व थैला लेकर चलने वाले राहगीरों को ये आवारा श्वान न सिर्फ दौड़ाकर भयभीत कर रहे हैं। बल्कि अपने नुकीले दांतों व पंजों से वार कर जख्मी भी कर रहे हैं।
बात अगर शहर की करें तो आवारा श्वानों की तादाद इतनी अधिक बढ़ गई है कि लोग अपने बच्चों को अकेले घर से बाहर भेजने में भी हिचकिचाने लगे है। शहर के मुख्य मार्ग सहित अंदर गलियों में भी आवारा श्वानों की फौज देखी जा रही है। पशु चिकित्सा विभाग से जारी आंकड़ों पर गौर करें तो 2007 से अब तक आवारा श्वानों ने करीब 35 हजार से अधिक लोगों को काटकर जख्मी किया है। जिन्होंने रेबीज के इंजेक्शन लगाकर अपना उपचार करवा चुके हैं। यह आंकड़ा वर्ष 2012 तक का है। आगामी समय के आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं।
तेजी से बढ़ रही संख्या
पिछले आंकड़ों पर गौर किया जाए तो उन आकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 में जिलेभर में आवारा श्वानों की संख्या करीब 20 हजार से अधिक थी। वर्तमान वर्ष तक इनकी संख्या में 50 से 60 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हो गई है। इन श्वानों की लगातार संख्या बढऩे से श्वान मुख्य मार्गो व चौराहों में बड़ी संख्या में दिखाई देने लगे हैं, जो राह चलते आमजन पर अचानक से हमला कर या दौड़ाकर भय का माहौल निर्मित कर रहे हैं।
इन मार्गो में है अड्डा
आवारा श्वानों को लेकर शहर में किए गए मुआयने में आवारा श्वानों की सर्वाधिक संख्या व समस्या शहर के काली पुतली, बस स्टैंड, बैहर रोड़, मेन रोड वार्ड नंबर 24 जुग्गी झोपड़ी, रामगली वार्ड 6 देवी तालाब के समीप बैहर रोड़ वार्ड 10, 03, 04, 07, 09 व गोंदिया रोड में दिखाई दी। इन स्थानों में 24 घंटे इन श्वानों की गर्दी रहती है, जो इन मार्गो व चौराहों से गुजरने वाले चालकों व राहगीरों के लिए सिरदर्द बन रहे हैं। इन क्षेत्रों में आए दिन आवारा श्वानों के अचानक से भौंक कर व आपस में लड़ाई कर दुर्घटना कारित किए जाने के मामले में भी आए दिन सामने आ रहे हैं।
वर्ष 2012 से नहीं की गई जनगणना
वर्तमान आंकड़े पशु चिकित्सा विभाग या प्रशासन के पास नहीं है। इसके पूर्व वर्ष 2012 में पशु चिकित्सा विभाग ने संपूर्ण जिले में आवारा श्वानों का सर्वे किया था। उस समय बालाघाट शहर में आवारा श्वानों की संख्या 3244 थी। जिले में आवारा श्वान 20712 थे। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा वर्ष 2012 में किए गए सर्वे के बाद अब दिसंबर 2024 में सर्वे शुरू किया है, जो पूरा नहीं हो पाया है। 12 वर्षों से ना तो आवारा श्वानों को चिन्हित कर उनकी नसबंदी की गई है और ना ही जिला स्तर पर उनके आंकड़े जुटाए गए हैं। हालाकि नपा ने छिंदवाड़ा से केचर मंगाकर 100 से 150 श्वानों की नसबंदी करवाई थी। वर्तमान में इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
:-पशु चिकित्सा विभाग से आवारा श्वानों के आंकड़े व बढ़ोत्तरी।
ब्लॉक जनसंख्या बढ़ोत्तरी
बालाघाट 3244 1622
वारासिवनी। 4152 2076
कटंगी 1644 0822
खैरलांजी 1155 0577
लालबर्रा 2111 1055
किरनापुर 0935 0467
लांजी 1580 0790
बैहर 2096 1048
बिरसा 2699 1349
परसवाड़ा 1096 0548
कुल 20712 10356
इनका कहना है।
जिले में सभी मवेशियों का सर्वे 31 दिसंबर तक होना था। लेकिन किसी कारण से नहीं हो सका है। वर्तमान समय में मवेशियों के सर्वे का काम शुरू है। पूरे जिले से श्वान सहित अन्य मवेशियों आंकड़े फिलहाल जिला मुख्यालय नहीं पहुंचे हैं। जैसे ही सर्वे पूरा होगा, नए आंकड़े जारी कर दिए जाएंगे।
डॉ घनश्याम परते, पशु चिकित्सक

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