दरअसल, डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना दो दिवसीय दौरे पर बालाघाट गए थे। जब डीजीपी हॉक कैम्प का दौरा करने गए तो गेट पर तैनात सिपाही ने उन्हें रोक दिया। संतरी ने उनका पूरा परिचय पूछा और पासवर्ड बताने को कहा। जब तक डीजीपी ने पासवर्ड नहीं बताया, उन्हें कैम्प में प्रवेश नहीं दिया गया। डीजीपी ने उन्हें पासवर्ड बताया और केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री के निर्देश और भावनाओं से अवगत कराया, तब उन्हें हॉक कैम्प में प्रवेश मिल सका।
डीजीपी सुधीर कुमार सक्सेना पहले महाराष्ट्र के गोंदिया पहुंचे, वहां से सड़क मार्ग से बालाघाट पहुंचे। डीजीपी ने बालाघाट जिले में स्थापित हॉक फोर्स के कैम्प पितकोना, डाबरी, सोनगुड्डा, डोरा और सीआरपीएफ के कैम्प बिठली का भ्रमण भी किया। जब डीजीपी हॉक फोर्स के कैम्प पहुंचे तो वहां प्रोटोकाल के तहत गेट पर तैनात संतरी ने सुरक्षा प्रोटोकाल का हवाला देते हुए उन्हें रोका था।
और क्या बोले डीजीपी
डीजीपी ने हॉक फोर्स के जवानों से मिले और उन्हें संबोधित किया। डीजीपी ने केंद्रीय गृहमंत्री और मुख्यमंत्री के निर्देश और भावनाओं से जवानों को अवगत कराया। डीजीपी ने कहा कि मुख्यमंत्री आपकी समस्या का निराकरण करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। वे आपकी ओर से किए जा रहे प्रयासों की नियमित जानकारी लेते रहते हैं। आपके मनोबल में वृद्धि के लिए नवीन अभियानों में उल्लेखनीय कार्य करने पर क्रमपूर्व पदोन्नतियां की गई हैं। डीजीपी ने कैम्प की पूरी व्यवस्था का भी अवलोकन किया।डीजीपी ने जवानों का बढ़ाया हौसला
नक्सल विरोधी अभियान को गति देने के लिए पुलिस महानिदेशक मध्यप्रदेश सुधीर कुमार सक्सेना जिले में दो दिवसीय प्रवास पर रहे। इस दौरान उन्होंने जवानों के साथ दिन रात उनके साथ रहकर हौसला बढ़ाया। ऑपरेशन कारणों से उनका दौरा गोपनीय रखा गया था। मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ के ट्राय जंक्शन सीमा क्षेत्र में स्थापित मुरकुटडोह सुरक्षा कैम्प महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में है। इस कैंप में महाराष्ट्र पुलिस की सी-60 फोर्स, छत्तीसगढ़ की डीआरजी फोर्स और मध्यप्रदेश की हॉक फोर्स तैनात है। कैम्प का निर्माण अबूझमाड़ से आने वाले नक्सलियों को रोकने के लिए किया गया है। डीजीपी ने सभी जवानों के साथ काफी समय बिताया और उनका मनोबल बढ़ाया।