बालाघाट

तस्वीरों में राम जीवन के दर्शन पाने उमड़ रहे श्रद्धालु

ड्रामा नाट्यकला के कलाकारों ने मोहा मन, भारतीय परंपरा की दिखाई दी झलक
मेला परिसर में कार्यक्रमों की धूम, 21 को दुय्यम शाहिरी का भी किया गया कार्यक्रम

बालाघाटNov 21, 2024 / 08:43 pm

mukesh yadav

रामपायली कार्तिक मेला छटवां दिन

रामपायली. जिले के रामपायली में चल रहे प्रदेश के प्रसिद्ध कार्तिक पूर्णिमा मेले में नित्य हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। मेला आयोजन के दूसरे दिन से धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम देखी जा रही है। छटवें दिन 20 नवंबर को श्री शारदा नाट्यकला निकेतन कोस्ते ड्रामा के कलाकारों का कार्यक्रम रखा गया था। कलाकरों ने अपनी प्रतिभा से सभी श्रोताओं का मन मोहा। नाटक नृत्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपरा को प्रदर्शित किया। वहीं 21 नवंबर की रात को दुय्यम शाहिरी का कार्यक्रम रखा गया था। इसमें बडग़ांव के नरेन्द्र पारधी व उनकी टीम वहीं पांडेवाड़ा के झामसिंह शरणागत व उनकी टीम ने शानदार जुगलबंदी कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
स्थानीय लोगों के मुताबिक श्रीराम मंदिर का निर्माण करीब 600 वर्ष पूर्व भंडारा जिले के तत्कालीन मराठा भोषले ने नदी किनारे एक किले के रुप में वैज्ञानिक ढंग से कराया था। मंदिर में ऐसे झरोखों का निर्माण है, जिससे सुर्योदय के समय सुरज की पहली किरण भगवान श्रीराम बालाजी के चरणों में पड़ती है। भारत के प्राचीन इतिहास में इस मंदिर के निर्माण का उल्लेख हैं। तभी से यहां कार्तिक पूर्णिमा से मेला भरता चला आ रहा है।
बच्चों के साथ बड़े भी उठा रहे लुत्फ
मेला आयोजन समिति के लोकेश तिवारी के अनुसार रामपायली मेले में इस वर्ष भी बच्चों से लेकर बड़े सभी वर्ग के हिसाब से मनोरंजन के साधन, फूड स्टॉल और जरूरतों की सामग्रियों की दुकान लगाई गई है। दूर दूराज और बाहर राज्यों से पहुंचने वाले लोग दिन में नदी किनारे कढाई कर (भोजन) बनाकर परिवार के साथ सामुहिक भोजन का आनंद लेते है फिर मेला परिसर में जरूरत के हिसाब से खरीदारी के बाद मेले में लगे आसमानी झूले, डे्रगन, ट्वाय ट्रेन सहित अन्य मनोरंजन के साधनों का परिवार सहित लुत्फ उठा रहे हैं। इस बार भी मेला अपनी ऐतिहासिकता को बनाए हुए हैं।
लगंडे हनुमान जी
मेले में श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में स्थित लंगड़े हनुमान जी व स्वयं प्रगट शिवलिंग आस्था का केन्द्र बने हुए हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार पूर्व मुखी लंगड़े हनुमान जी की मूर्ति का एक पांव जमीन और दूसरा पांव जमीन के अंदर होने से स्पष्ट दिखाई नही देता है। वर्षो पूर्व एक समिति ने हनुमान जी की मूर्ति हटाकर मंदिर में स्थापित करने की कोशिश की थी। तब करीब पचास फिट से अधिक का गड्ढा खोदा गया, लेकिन पांव का दूसरो छोर नहीं मिल सका। मान्यताओं में है कि हनुमान जी का पांव पातल लोक तक गया है। यहां पहुंचने वाले भक्त इन मूर्तियों की कहानियां सुनकर भक्ती भाव से ओत प्रोत हो जाते हैं।
स्वयं प्रगट शिवलिंग
इसी प्रकार शिवलिंग के दर्शन करने भी दूर-दूर से श्रृद्धालु पहुंच रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग स्वयं प्रगट हुई है। हजारों वर्ष पूर्व एक बुढिय़ा के आंगन में रेत की शिवलिंग बनती थी। लेकिन बुढिय़ा उसे कचरा समझकर झाड़ दिया करती थी। कई बार झाडऩे के बाद भी शिवलिंग नहीं हटी और स्थापित हो गई।

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