बच्चों के साथ बड़े भी उठा रहे लुत्फ
मेला आयोजन समिति के लोकेश तिवारी के अनुसार रामपायली मेले में इस वर्ष भी बच्चों से लेकर बड़े सभी वर्ग के हिसाब से मनोरंजन के साधन, फूड स्टॉल और जरूरतों की सामग्रियों की दुकान लगाई गई है। दूर दूराज और बाहर राज्यों से पहुंचने वाले लोग दिन में नदी किनारे कढाई कर (भोजन) बनाकर परिवार के साथ सामुहिक भोजन का आनंद लेते है फिर मेला परिसर में जरूरत के हिसाब से खरीदारी के बाद मेले में लगे आसमानी झूले, डे्रगन, ट्वाय ट्रेन सहित अन्य मनोरंजन के साधनों का परिवार सहित लुत्फ उठा रहे हैं। इस बार भी मेला अपनी ऐतिहासिकता को बनाए हुए हैं।
मेला आयोजन समिति के लोकेश तिवारी के अनुसार रामपायली मेले में इस वर्ष भी बच्चों से लेकर बड़े सभी वर्ग के हिसाब से मनोरंजन के साधन, फूड स्टॉल और जरूरतों की सामग्रियों की दुकान लगाई गई है। दूर दूराज और बाहर राज्यों से पहुंचने वाले लोग दिन में नदी किनारे कढाई कर (भोजन) बनाकर परिवार के साथ सामुहिक भोजन का आनंद लेते है फिर मेला परिसर में जरूरत के हिसाब से खरीदारी के बाद मेले में लगे आसमानी झूले, डे्रगन, ट्वाय ट्रेन सहित अन्य मनोरंजन के साधनों का परिवार सहित लुत्फ उठा रहे हैं। इस बार भी मेला अपनी ऐतिहासिकता को बनाए हुए हैं।
लगंडे हनुमान जी
मेले में श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में स्थित लंगड़े हनुमान जी व स्वयं प्रगट शिवलिंग आस्था का केन्द्र बने हुए हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार पूर्व मुखी लंगड़े हनुमान जी की मूर्ति का एक पांव जमीन और दूसरा पांव जमीन के अंदर होने से स्पष्ट दिखाई नही देता है। वर्षो पूर्व एक समिति ने हनुमान जी की मूर्ति हटाकर मंदिर में स्थापित करने की कोशिश की थी। तब करीब पचास फिट से अधिक का गड्ढा खोदा गया, लेकिन पांव का दूसरो छोर नहीं मिल सका। मान्यताओं में है कि हनुमान जी का पांव पातल लोक तक गया है। यहां पहुंचने वाले भक्त इन मूर्तियों की कहानियां सुनकर भक्ती भाव से ओत प्रोत हो जाते हैं।
मेले में श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में स्थित लंगड़े हनुमान जी व स्वयं प्रगट शिवलिंग आस्था का केन्द्र बने हुए हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार पूर्व मुखी लंगड़े हनुमान जी की मूर्ति का एक पांव जमीन और दूसरा पांव जमीन के अंदर होने से स्पष्ट दिखाई नही देता है। वर्षो पूर्व एक समिति ने हनुमान जी की मूर्ति हटाकर मंदिर में स्थापित करने की कोशिश की थी। तब करीब पचास फिट से अधिक का गड्ढा खोदा गया, लेकिन पांव का दूसरो छोर नहीं मिल सका। मान्यताओं में है कि हनुमान जी का पांव पातल लोक तक गया है। यहां पहुंचने वाले भक्त इन मूर्तियों की कहानियां सुनकर भक्ती भाव से ओत प्रोत हो जाते हैं।
स्वयं प्रगट शिवलिंग
इसी प्रकार शिवलिंग के दर्शन करने भी दूर-दूर से श्रृद्धालु पहुंच रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग स्वयं प्रगट हुई है। हजारों वर्ष पूर्व एक बुढिय़ा के आंगन में रेत की शिवलिंग बनती थी। लेकिन बुढिय़ा उसे कचरा समझकर झाड़ दिया करती थी। कई बार झाडऩे के बाद भी शिवलिंग नहीं हटी और स्थापित हो गई।
इसी प्रकार शिवलिंग के दर्शन करने भी दूर-दूर से श्रृद्धालु पहुंच रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवलिंग स्वयं प्रगट हुई है। हजारों वर्ष पूर्व एक बुढिय़ा के आंगन में रेत की शिवलिंग बनती थी। लेकिन बुढिय़ा उसे कचरा समझकर झाड़ दिया करती थी। कई बार झाडऩे के बाद भी शिवलिंग नहीं हटी और स्थापित हो गई।