कोरोना काल ने बदली स्थिति, बेरोजगार से आत्मनिर्भर बनी धनेश्वरी
बालाघाट. कोरोना काल ने जहां विपरित परिस्थितियों में संघर्ष करना सिखाया। वहीं लोगों को आत्मनिर्भर भी बनाया। कुछ ऐसी ही स्थिति खैरलांजी तहसील के भेंडारा निवासी धनेश्वरी पति नुरुगराज बिसेने के साथ हुई। धनेश्वरी पहले छोटे-मोटे कार्य कर अपना और परिवार का गुजारा करती थी। इतना ही नहीं उसे अपना निर्णय लेने और कहीं आने-जाने में असमर्थ रहती थी। कोरोना काल के दौरान लॉक डाउन होने से घर में जो व्यवसाय और मजदूरी कार्य भी बंद हो गया। घर में जो भी बचत पैसा और अनाज था, उससे परिवार का 10-15 दिन का गुजारा चल पाया। इसके बाद सरकार द्वारा उचित मुल्य कि दुकान से राशन प्राप्त हुआ। पांच-पांच सौ रुपए की राशि प्रधानमंत्री जन धन योजना द्वारा दो किस्तों में प्राप्त हुई। इसके अलावा समूह द्वारा ऋण लेकर बड़ी ही कठिनाई से कोरोना काल का समय काटा गया।
कोरोना काल के बाद धनेश्वरी न केवल आत्मनिर्भर बनी। बल्कि उसने स्वयं की दुकान भी खोल रखी है। दुकान खोलने के लिए उसे पैसों की जरुरत थी। आजीविका मिशन द्वारा मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता (स्ट्रीट वेंडर) योजना की जानकारी दी गई। योजना के तहत उनका पंजीयन करवाया गया। इस योजना के माध्यम से उसे 10000 रुपए का ऋण बैंक से प्राप्त हुआ। इस राशि से धनेश्वरी ने एक छोटी सी किराना दुकान खोली। धनेश्वरी आज अपने परिवार की आजीविका किराना दुकान के माध्यम से चला रही है। वह हर महीने लगभग 5000 रुपए से ज्यादा आय अर्जित कर रही है। इस तरह से कोरोना काल ने उनका जीवन ही बदल दिया।